अपने लिए कहीं आसरा
ढूढने से अच्छा है
हम ही लोगों के सहारा बन जाएं
किसी से प्यार मांगे
इससे अच्छा है कि
हम लोगों को अपना प्यार लुटाएं
किसी से कुछ पाने की ख्वाहिश
पालने से अच्छा है कि
हम लोगों के हमदर्द बन जाएं
जिन्दगी में सभी हसरतें पूरी नहीं होती
कुछ अपने ही हिस्से का सुख काम करते जाएं
आकाश की लंबाई से अधिक है
चाहतों के आकाश का पैमाना
सोचें दायरों से बाहर हमेशा
पर अपनी जरूरतें
दायरों में ही रखते जाएं
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समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 वर्ष पहले
3 टिप्पणियां:
सुन्दर कविता ! परन्तु इसका अनुकर करना बहुत कठिन है ।
घुघूती बासूती
सारगर्भित रचना...घुघुती जी आपने सही कहा बहुत कठिन है लेकिन मेरे विचार में असम्भव नहीं...
सही कहा है आपने ! आपके विचार बहुत सुंदर है , वैसे भी जब विचारों की चासनी में घुली हुई कविता सामने हो तो जुवान अपने -आप वाह-वाह ! कहने को विवश हो जाती है . एक कहावत है इस सन्दर्भ में की आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया ......!बहुत सुंदर .
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