और बोला
‘‘दीपक बापू,
लाया हूं तुम्हारे ब्लाग हिट होने का नुस्खा,
नहीं होना मेरी बात पर गुस्सा,
तुम अब बेईमानों के दुष्कर्म पर
लिखा करो जोरदार हास्य कविता,
जला दो भ्रष्टाचार की चिता,
एक दिन तुम बहुत बड़े
साहित्यकार बन जाओगे,
तब मेरी सलाह के गुण गाओगे,
आजकल सभी जगह भ्रष्टाचार की
चर्चा है,
कई लोगों के घर में आमदनी से
अधिक बहुत ज्यादा खर्चा है,
तुम बेईमानी पर लिख कर प्रसिद्ध हो जाओ।’’
सुनकर पहले सोच में पड़े दीपक बापू
फिर बोले-
‘‘कमबख्त जमाने के साथ चलना चाहिए,
न कि वह चले आगे आप पीछे आईये,
पहले कहा जाता था यथा राजा तथा प्रजा
आधुनिक लोकतंत्र में यह उलट है
यथा प्रजा तथा राजा,
आम इंसानों को पसंद आता
वही शख्स
जिसके सिर पर ताज है,
नहीं देखना चाहता कोई भी
छिपा जो इसके पीछे राज है,
भ्रष्टाचार ने इतना कमजोर कर दिया है समाज,
बेईमानी ताकत बन गयी है आज,
बेदाग आदमी भला
क्या अपनी जिंदगी बनायेंगे,
अपने बच्चों की शादी को तरस जायेंगे,
चरित्र पर दाग बन गये हैं
कमीज में सोने की बटन की वजह,
बेदाग की जिंदगी में रह जाती है कलह,
नहीं रहा अब वह समय
जब ईमानदार से लोग सीखने जाते हैं,
आजकल बेईमान ही गुरु हो जाते हैं,
सच बात तो यह है कि
भूल जाओ बेईमानी और भ्रष्टाचार पर
कविता लिखने की बात,
पुरानी मान्यताऐं हैं एक तरह से अंधेरी रात,
आओ,
ईमानदारी और सज्जनों पर
हास्य कविता सुने और सुनायें,
उनका जीभरकर मजाक उड़ायें,
भ्रष्टाचार ज़माने के खून में आ गया है,
शिष्टाचार की तरह छा गया है,
इसलिये ईमानदारी का मज़ाक हम उड़ायेंगे,
तब अधिक लोग हमसे जुड़ जायेंगे,
भ्रष्टाचारी और दुष्ट
पा रहे सभी जगह सम्मान,
नैतिकता पर उपदेश देकर
दिखाते सभी जगह अपनी शान,
बेदाग तो अपने घर में अजनबी हो जाते हैं,
दागदार सभी जगह चैन से सो पाते हैं,
हम से कह दी
भ्रष्टाचार और बेईमान पर हास्य कविता लिखने की बात,
कहीं अन्यत्र मत कहना
वरना कोई भी मारेगा जोर से लात,
ईमानदारी पर कटाक्ष कर
सभी जगह सम्मान पाओगे,
बेईमानों और गद्दारों पर छींटाकशी की
तो डंडे खाओगे,
हमारी बात अच्छी तरह समझ जाओ,
ऐसा न हो कि फिर पछताओ,
भीड़ में भी मूर्ख सिद्ध हो जाओगे।’’
.........................
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
http://dpkraj.wordpress.com
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