माशूका ने दिया
मोबाइल पर आशिक को अपने
साथ घूमने का निमंत्रण
और बोली
"आओ प्रियतम
सावन के महीने में
आज हो रही बरसात का आनंद उठाएँ
लाना साथ में मोटर साइकिल
उस पर शहर में घूमते हुए
एफ एम पर इश्क के गाने सुनकर
ज़िंदगी का आनंद उठाएँ।"
आशिक बोला
"सच कहता हूँ
मेरे दिल में भी यह ख्याल आया,
निकला था घर से मोटर साइकिल पर
सोचा था तुम्हारे घर के पास पहुंचकर
फोन करूंगा
तुम ट्यूशन का बहाना कर
घर से निकाल आओगी,
फिर मेरे साथ सावन के महीने की
बरसात का आनद उठाओगी,
मगर चला था थोड़ी दूर
अपने को गड्ढे में पाया।
इस समय अस्पताल में
मरहमपट्टी करा रहा हूँ,
भारी दर्द है
अपने खून से ही नहा रहा हूँ,
अच्छा हुआ तुम साथ नहीं थी,
वरना दोनों घायल होते,
बदनाम होकर रोते,
सच तो यह है कि
इश्क का दुश्मन नहीं लगता
पूरा ज़माना,
उससे बुरे सड़कों के कदम कदम पर बने यह गड्ढे हैं
जिनका मुश्किल है भर पाना,
इसलिए अच्छा है भुला दें
सावन के महीने में गाये जाने वाली
आशिक और माशूका की गाथाएँ,
भादों महीना आने पर ही
अपने इश्क का आनंद उठाएँ।
तब तक विरह के गीत गुनगुनाएँ।"
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
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