लोग तो बस अपनी खुशी की खातिर जीते हैं
गम हो या खुशी का मौका बस जाम पीते हैं
कोई ख्वाहिश हो जाती है पूरी तो
नहीं हो तो भी अफ़सोस में पीते हैं
कहीं से अपने लिए उम्मीद हो तो
न हो तो भी नाउम्मीन्दी में पीते हैं
किसी से सवाल का जवाब मिल जाये तो
नहीं तो भी ग़ुस्से में पीते हैं
कोई मौका नहीं छोड़ते पीने का
नहीं मिलता तो भी पीते हैं
हर जाम पर पीती है शराब उनको
पर ग़लतफ़हमी यह कि हम उसे पीते हैं
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 वर्ष पहले
2 टिप्पणियां:
बिलकुल सही फरमाया आपने...
सच बड़ा हीं कड़वा होता है, आपने सच कहा है इसलिए पहले तो आपको धन्यवाद!
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