अपने मुख से तीव्र आवाज में
शब्दों को बाहर व्यक्त करते हुए
अपने कानों से शोर सुनने का आदी
कर रहा है कोलाहल के बीच
शाति की तलाश करता हुआ आदमी
हर क्षण अपने मन के सपने को साकार
होते देखने की इच्छा लिए
सारी दुनिया की दौलत अपने घर में
ही भरने का अरमान सजाये
ऊपर हाथ उठाकर आकाश की तरफ
सुख के लिए प्रार्थना करता आदमी
चारों और विष फैलाता
अपने लिए अमृत ढूँढता आदमी
अपने अक्ल पर पर्दा डालकर
दूसरे की सोच को सच मानता
कैसे संभव है जो पेड बोया ही नहीं
उसके फल मिल जाएँ इस धरती पर
कोई तो जवाब दे इस बात का आदमी
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 वर्ष पहले
2 टिप्पणियां:
जबाब तो आप ही बताईए. हमे आपसे ही उम्मीद है.
सोच बदलने की जरुरत है।
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