पल भर में बिखर जाती है जिंदगी
बरसों बनाये में लगते हैं
पर हवा के ऐक झौंके में
बडे-बडे महल ढह जाते हैं
छा जाती है मुर्दानगी
फ़िर भी जीवन है चलने का नाम्
अपना कर्म ही है बंदगी
यही सोचकर चलते रहो
बढते रहो अपने कर्तव्य पथ पर
छोडो न अपनी निष्ठा और धर्म
यही है जीवन का मर्म्
करो न किसी इंसान की पूजा
परमेश्वर के अलावा नही कोई दूजा
करते रहो बस उसकी बंदगी
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
-
*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 वर्ष पहले
2 टिप्पणियां:
परमेश्वर के अलावा नही कोई दूजा
करते रहो बस उसकी बंदगी
--वही कर रहे हैं.
दिल की कलम से
नाम आसमान पर लिख देंगे कसम से
गिराएंगे मिलकर बिजलियाँ
लिख लेख कविता कहानियाँ
हिन्दी छा जाए ऐसे
दुनियावाले दबालें दाँतो तले उगलियाँ ।
NishikantWorld
एक टिप्पणी भेजें