पल भर में बिखर जाती है जिंदगी
बरसों बनाये में लगते हैं
पर हवा के ऐक झौंके में
बडे-बडे महल ढह जाते हैं
छा जाती है मुर्दानगी
फ़िर भी जीवन है चलने का नाम्
अपना कर्म ही है बंदगी
यही सोचकर चलते रहो
बढते रहो अपने कर्तव्य पथ पर
छोडो न अपनी निष्ठा और धर्म
यही है जीवन का मर्म्
करो न किसी इंसान की पूजा
परमेश्वर के अलावा नही कोई दूजा
करते रहो बस उसकी बंदगी
आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
-
रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
---
हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
7 वर्ष पहले
2 टिप्पणियां:
परमेश्वर के अलावा नही कोई दूजा
करते रहो बस उसकी बंदगी
--वही कर रहे हैं.
दिल की कलम से
नाम आसमान पर लिख देंगे कसम से
गिराएंगे मिलकर बिजलियाँ
लिख लेख कविता कहानियाँ
हिन्दी छा जाए ऐसे
दुनियावाले दबालें दाँतो तले उगलियाँ ।
NishikantWorld
एक टिप्पणी भेजें