जो अपने ही बोले शब्द का समझ नहीं पाते अर्थ
वह देवताओं के सात्विक भाव में ही ढूंढते अनर्थ
लिखेंगे गीतों में गालियाँ, शोर को समझें तालियाँ
खामोशी से बैर होता, वाणी से बोलें शब्द व्यर्थ
कान होते हुए बहरे , आंख के रहते हुए अंधे
भाषा और शब्द की सम्मान का क्या समझे अर्थ
अंग्रेजी पढे पर अपशब्दों में होता शक्ति का भ्रम
दूसरे का मजाक बनाएं, अपने दोष से मुहँ छिपाएं
ऐसे लोगों से वार्ता करना होता सदैव व्यर्थ
कहैं दीपक बापू ऐसे लोगों की कभी न सुनो
उपेक्षा के भाव से ही उन्हें हराने में होंगे समर्थ
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 वर्ष पहले
2 टिप्पणियां:
अरे बाप रे इतनी गूढ़ और नाराजगी भरी कविता।
वैसे एक तरह से आप सच ही कह रहे है।
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