गर्मी में पानी के प्यासे
स्वर्ण की तलाश में
जूझ रहे हैं।
वातानुकूलित कक्षों में
पर्दे पर आंखें लगाये बुद्धिमान
खेल की पहेली बूझ रहे हैं।
कहें दीपकबापू चिंत्तन में
अल्पबुद्धि करते समय खराब
खोटे सिक्के चलें बाज़ार में
खरे तिजोरियों में
अकेलेपन से जूझ रहे हैं।
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