सूरज की रौशनी लेकर
चमकता हुआ पत्थरों का पहाड़ चांद
गीतों और गजलों में
नायक बन गया,
किसी ने साजन का चेहरा
चांद जैसा माना,
किसी ने सजनी जैसा
खूबसूरत माना,
जिसने लफ्जों को दिया सुर
वह गायक बन गया।
कहें दीपक बापू
ख्वाबों का देखना बुरा नहीं है
मुश्किल यह है कि
दहलाने वाली हकीकतें भी खड़ी वहीं हैं,
बाज़ार में बिकते है सपने
सौदागरों के हाथ में आ गये दिल अपने,
बहलाने के लिये कभी कपड़े बदले जाते,
कहीं पुराने पुतले हटते ही अगले आते
ख्वाबों में होती नये ज़माने की सजावट
जिंदगी के अमिट सच में कुछ नया नहीं है।
बहलाने के लिये कभी कपड़े बदले जाते,
कहीं पुराने पुतले हटते ही अगले आते
ख्वाबों में होती नये ज़माने की सजावट
जिंदगी के अमिट सच में कुछ नया नहीं है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप
ग्वालियर मध्य प्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
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