यूं तो चले थे साथ-साथ
थामे थे एक-दूसरे के हाथ
जीवन भर निभाने का वादा था
मझधार में थे दोनों
किनारा बहुत दूर था
कुछ हमने कहा कुछ उसने
बात करते ऐसा लगता था
जैसे बरसों पुराना है और
कई बरस रहेगा साथ
जो किनारे पर आये
वह मुहँ फिर कर चल दिए
अभी तक अपना समझ कर
खूब उन्होने किये थे वादे
और अभी हम हो गए
अजनबी उनके लिए
सच है रास्ते के साथी
नाव पर सवार मझधार से
किनारे तक ही होते हैं अपने
अपनी मंजिले और किनारे आते ही
छोड़ जाते हैं अपना साथ
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समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 वर्ष पहले
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर.
अपनी मंजिले और किनारे आते ही
छोड़ जाते हैं अपना साथ
नाराज़ न होकर सोचती हूँ ....नदी का पानी सदा आगे को बढ़ता है... बढ़ने दूँ... किनारे खड़े होकर मंज़िल पाने वाले को बधाई दे दूँ ..
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