भाई हो भरत जैसा
आज भी यही कहा जाता है
क्योंकि फिर कोई भाई
इस धरती पर पैदा ही नहीं हुआ
जिसने बडे भाई की चरण पादुकाएं
उठाकर सिर-माथे लगाई हो
या जिसने डूबती नैया पार लगाई हो
अब तो भाई ही भाई की पीठ में
छुरा घोंपते नजर आता है
मित्र मिले सुग्रीव जैसा
यही सबके दिल में
ख़्याल आता है
क्योंकि फिर कोई मित्र
यहाँ बना ही नहीं
जिसने आफत में
मित्र को उबारा हो
जिसे अपना मित्र
प्राण से भी प्यारा हो
अब तो मित्र ही मित्र की
पीठ में छुरा घोंपता
नजर आता है
राम जैसा पुत्र हर नारी चाहे
पर दशरथ जैसा पिता
किसी को नहीं भाता है
विचित्र है राम की माया
सब जगह गूंजे जयघोष के शब्द
कई जगह होता है उनके नाम
पर भंडारा
सब पुकारें नाम बारंबार
पर अपने हृदय में
देखने की कोशिश
करता हुआ कोई
नजर नहीं आता है
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आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
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रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
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हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
7 वर्ष पहले
2 टिप्पणियां:
सच कहते हो भाई… सब माया है तभी तो कलयुग है।
बहुत सही लिखा है।
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