तिनका-तिनका जोड़कर
बनाती है चिड़िया आशियाना
उसे कुछ खरीदने कहीं नहीं जाना
भीषण गर्मी में पेड की छाया तले
सोया हुआ आवारा कुत्ता
न चादर और न तकिया
साहूकार जैसा आराम
करता है बैगाना
सूर्य की तपती गर्मी में
भैस तालाब बैठी
और विश्राम करती
नहीं जानती गर्मी का पैमाना
बरस रही है आसमान से
आग जमीन पर
रोटी के लिए जूझता मजदूर
उसे तो बस है पेट की आग बुझाना
कहैं दीपक बापू
जिन्होंने बिताई जिन्दगी
शरीर को आराम देकर
दिल से रहे बैचेन
ख़ून पसीना बहाकर
जो लड़े हैं जिन्दगी से
हर लम्हे का सुख-दुःख
उन्होने ही जाना
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
-
*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
ख़ून पसीना बहाकर
जो लड़े हैं जिन्दगी से
हर लम्हे का सुख-दुःख
उन्होने ही जाना
---सत्य वचन.
एक टिप्पणी भेजें