दिन भर ईंट, पत्थर और
सीमेंट का मसाला तस्सल सिर
पर रखकर ढोती वह औरत
रात्रि में प्लास्टिक की छत से ढंकी
झौंपडी के बाहर आंगन में
बबूल की लकड़ी से
अग्नि जलाकर
उस पर रोटी सेंकती वह औरत
सुबह चाय बनाते हुए
अपने बच्चे को
गोद में बैठाकर
उसे बडे स्नेह से
मुस्कान बिखेरती
और दूध पिलाती वह औरत
अपने अनवरत संघर्ष से
इस सृष्टी में जीवन को ही
सहजता से जीवनदान देती
चेहरे पर शिकन तक नहीं आने देती
अपनी शक्ति और सामर्थ्य का
प्रतीक है वह औरत
आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
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रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
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हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
7 वर्ष पहले
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