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12/07/2014

कन्या भ्रुण हत्या और उदारीकरण से बढ़े नारी जाति पर अपराध-हिन्दी चिंत्तन लेख(kanya bhrun hatya aur udarikaran se badhe nari jati par apradh-hindi thought article)



            दिल्ली में हुई एक बलात्कार की घटना पर टीवी चैनलों पर बहस हो रही है। ऐसी बहस दो वर्ष पूर्व भी हो चुकी है। बलात्कार दिल्ली में हुआ बहस पूरे देश के लिये हो रही है। प्रचार माध्यमों के लिये सनसनीखेज समाचार और उन पर आयोजित बहसें विज्ञापन का समय पास करने का अवसर प्रदान करती हैं। हमें इस पर आपत्ति भी नहीं है पर इन बहसों में जिन कथित प्रतिष्ठित विद्वानों को बुलाया जाता है उससे तो यह लगता है कि वह अपनी उपस्थिति के लिये जरूर शुल्क लेते होंगे इसलिये ही चैनल से निर्धारित  विद्वत सीमासे आगे वह जाते नहीं है या जाना नहीं चाहते। यह चैनल वाले इतना पैसा कमाते हैं पर उनके दिल्ली और मुंबई के बाहर विद्वान मिलते ही नहीं है-शायद उनको बुलाने पर अधिक व्यय की आशंका रहती होगी।
            बहरहाल बलात्कार की घटनायें रोकने पर तमाम तरह के जो बेकार तर्क दिये जाते हैं उन पर हैरानी ही हो सकती है। वह इस प्रकार हैं।
            लड़कियां कम कपड़े पहनती हैं, नशा करती हैं, लड़कों के साथ घूमती हैं इसलिये उनके साथ ऐसी घटनायें होती हैं।
            देश के पुरुषों की मानसिकता खराब है। आज भी स्त्री को दोयम दर्जे की माना जाता है। आदि आदि।
            मूल तत्व की तलाश कोई  नहीं कर रहा है।  हम बताते हैं कि इस तरह की घटनाओं के पीछे समाज की अस्थिरता और अन्मयस्कता इसका कारण है जो कथित उदारीकरण तथा पाश्चात्य सांस्कारिक प्रेम के कारण फैली है।  उदारीकरण की वजह से कंपनी दैत्य ने विराट रूप ले लिया है जिसमें मानवीय तत्वों का अभाव होता है। पचास हजार रुपये महीने कमाने वाले  छोटे व्यवसायी से अधिक सम्मान चालीस हजार रुपये कमाने वाले नौकरीशुदा को मिलता है।  पहले तो सरकारी नौकरियां अधिक थी अब तो निजीकरण ने वह खत्म कर दी हैं।  निजी क्षेत्र में पुरुष और नारी दोनों का शोषण होता है। अनाचार का सामना भी दोनों करते हैं।  नारियों के शोषण में असामाजिकता का तत्व भी शामिल होने की संभावना रहती है। हमने अमेरिकी पद्धति के  आधार पर निजीकरण को खुली छूटी दी पर कंपनी दैत्य पर नियंत्रण करने के नियम नहीं बनाये।  निर्माता की पूंजी पर मर मिटने की ऐसी मानसिकता कि उपभोक्ता की रक्षा का कोई संकल्प नहीं लिया।  एक लड़की के साथ विदेशी टैक्सी कंपनी का चालक बलात्कार कर  भाग जाता है पर उसका पता कहीं नहीं मिलता।  यही कंपनी अमेरिका में ऐसा नहीं कर सकती कि चालक का पता ही नहीं रखे।  अमेरिका में ठगी, धोखाधड़ी और व्यवसायिक वायदा खिलाफी पर सजा होती है पर भारत में काम करने वाली विदेश कंपनी तो दैवीय शक्ति से संपन्न हो गयी लगती हैं।
            आखिरी बात कन्या भ्रुण हत्या के परिणाम इसी तरह सामने आने हैं।  हमने इस बारे में अंतर्जाल पर अनेक लेख लिखे हैं और यह नारी के प्रति अपराधों की आशंका अनेक सामाजिक विशेषज्ञों ने आज से दस वर्ष पहले ही जता दी थी।  हमारा तो यह मानना है कि आज भी कन्या भ्रुण हत्या शूंन्य हो जाये तो भी अगले दस वर्ष तक पुराने पापों का परिणाम नारियों के प्रति अनाचार के भयावह दृश्य सामने आते देखने ही होंगे। इस देश में पिछले तीस सालों से कन्या भ्रुण हत्या का जो क्रम चला तो वह अभी थमा नहीं है। मध्यवर्गीय समाज आज लिंगानुपात के असंतुलन का सामना जिस तरह कर रहा है उसका आंकलन किसी ने नहीं किया। कन्या भ्रुण हत्या को सामान्य तथा  उदारीकरण के चलते कंपनी दैत्य को देवता मानने का ही यह नतीजा है कि ऐसी घटनायें हो रही हैं।  हमें तो इस बात की चिंता है कि आगे स्थितियां अधिक बिगड़ सकती हैं। हमारे यहां एक बार फिर कानून बनाने की बात भी चल रही है पर हमारा मानना है कि समस्या यह है कि व्यवस्था में किन्हीं कारणों से भी पहले से ही निर्धारित सजा नहीं हो पाती  या देर से होती है जिससे अपराधियों में भय समाप्त हो गया है।


लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप 
ग्वालियर मध्य प्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh


वि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

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