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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

11/30/2014

गरीब के लिये घास का प्रसाद-हिन्दी कविता(garib ke liye ghas ka prasad-hindi poem)



गरीबों का देश

भारत को जरूर कहते

फिर भी अमीरों का

स्वर्ग यहीं पाया जाता है।



कोयले के भंडार

जमीन में बसे हैं

फिर भी उसका सौदागर

सोने में नहाया जाता है।



सड़कें एक माह में

दम तोड़ देती है

फिर भी उनका पालनहार

अपने कदम दौलत के पहाड़ पर

बढ़ाया जाता है।



कहें दीपक बापू सोने की चिड़िया

करती है अब भी हर डाल पर बसेरा,

दूध की नदी आती होते ही सवेरा,

यह अलग बात है

शिकारियों ने कर लिया

पूरे जंगल पर नियंत्रण

फल के जुटा लेते भंडार

उनके हाथ से कभी कभी

गरीब  देवता पर घास का

प्रसाद चढ़ाया जाता है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप 
ग्वालियर मध्य प्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh


वि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

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