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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

6/10/2011

आसमान से तारे तोड़ने की कोशिश-हिन्दी शायरी (asman se tare todne ki koshish-hindi shayari

दौलत की भूख कभी नहीं मिटती
सोना चाहे जितना भर जाये तिजोरी में
दिल में पाने की लालच फिर भी बढ़ जायेगी।

तड़प शौहरत की हमेशा सताती
चाहे आसमान में नाम दिखता हो
मगर जन्नत में फरिश्ता दिखने की चाहत
बढ़ती ही जायेगी।

हर किसी के दिमाग में बसता
दूसरे को मिटाने की ताकत पाने का ख्याल
चट्टानें तोड़ने से पूरा नहीं होता अरमान
बात हिमालय को हिलाने तक जायेगी।

इंसानी फितरत को जाने कौन
ऊंचाई पर पहुंचकर भी बैचेन रहता है
आसमान से तारे तोड़ने की कोशिश
आखिर कभी न कभी उसे
नीचे जमीन पर गिरायेगी।
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कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

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