सुना है रईस भी
कन्या के भ्रूण की हत्या कराते हैं,
दूसरे के आगे सिर झुकाने से
वह भी शर्माते हैं,
फिर गरीबों की क्या कहें,
जो हर पल कुचले जाने का दर्द सहें,
जिनका कत्ल हो गया
उनकी लाश होती गवाह
ज़माने में उसके कातिल दिखते है,
मगर गर्भ के भ्रूण की शिकायत भला कहां लिखते हैं,
पूरा समाज पहने बैठा है नकाब
कौन दुर्जन
कौन सज्जन
सभी चेहरे खूबसरत हैं
पूरे ज़माने को पहचान के संकट में पाते हैं।’’
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