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2/10/2011

समाचार और विज्ञापन-हिन्दी हास्य कविता (samachar aur vigyapan-hindi hasya kavita)

समाजसेवक जी ने
प्रचारक से कहा,
‘‘यार, रोज तुम घोटालों का
पर्दाफाश करते हो
क्या हमें मरवाओगे,
अभी तक हमारे चेले फंस रहे हैं
धीरे धीरे हमारे हाथ में हथकड़ी
पड़ जाने की नौबत तुम लाओगे,
मगर याद रखना
हमारे घोटालों में तुम भी भागीदार हो
इसलिये बच नहीं पाओगे।’’

सुनकर प्रचारक महोदय बोले
‘‘यार,
तुम भी निरे मूर्ख हो
घोटालों से हमारे समाचार सनसनीखेज बनते हैं,
विज्ञापनों में अपने जलवे इसलिये छनते हैं,
फिर तुम्हारे चेलों के भी चाटुकार इसमें फंस रहे हैं,
आम लोग बिना सोचे समझे हंस रहे हैं,
फिर हम एक घोटाले पर चलाते हैं
कुछ दिन चर्चा,
कार्यक्रम बनाने में भी नहीं आता खर्चा,
जैसे एक मामला थम जाता है,
फिर कोई नया मामला सामने आता है,
लोग पिछला भूल जाते हैं,
नये को तूल देने में फिर मजे आते हैं,
चिंता मत करो,
बस, भ्रष्टाचार पर
जनता के सामने आहें भरो,
तुम्हारा काम चलता रहेगा जीवन भर,
नहीं है तुम्हें फंसने का डर,
अपनी समाज सेवा की यात्रा
तुम स्वच्छ छवि के साथ तय कर जाओगे।’’
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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
http://dpkraj.wordpress.com

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