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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

2/04/2010

इश्क की भाषा-हिन्दी व्यंग्य कविता (ishq ki bhasha-hindi comic poem)

आशिक लिखता था अंग्रेजी में प्रेमपत्र

प्रेमिका भी देती थी उसी में जवाब।

इश्क ने दोनों को कर दिया था विनम्र

नहीं झाड़ते थे एक दूसरे पर रुआब।

एक दिन अखबार में पढ़ी

माशुका ने ‘भाषा के झगड़े’ की खबर,

खिंच गया दिमाग ऐसे, जैसे कि रबर,

उसने आशिक के सामने

मातृभाषा का मामला उठाया,

दोनों ने उसे अलग अलग पाया,

वाद विवाद हुआ  जमकर,

दोनों अपनी ही मातृभाषा को

इश्क की भाषा बताने लगे तनकर,

पहले मारे एक दूसरे को ताने,

फिर लगे डराने

बात यहां तक पहुंची कि

दोनों एक दूसरे से इतना चिढ़े गये कि

आशिक के लिये माशुका

और माशुका के लिये आशिक बन गया

बीते समय का एक बुरा ख्वाब।

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com

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