हमारे अध्यात्मिक दर्शन के अनुसार दिन के चार पहरों के अनुसार कार्य संस्कर
भी निर्धारित हैं। प्रातःकाल धर्म, दोपहरकाल अर्थ, सांयकाल काम-जिसे
मनोरंजन भी कह सकते हैं-तथा रात्रिकाल मोक्ष या निद्रा का माना जाता है। पूर्वकाल
में लोग इसी तरह ही जीवन बिताते थे पर अब विद्युत तथा उससे चलायमान उपभोग के
सामानों की अधिकता ने जीवन के मूल रूप को ही बदल दिया है। आजकल हम देखते हैं कि कंप्यूटर, स्मार्टफोट तथा टीवी का
उपयोग लोग अपने मनोरंजन के लिये चाहे जब करने लगते हैं। स्मार्ट फोन ने अनेक लोगों
को इस तरह अपनी गिरफ्त में लिया है कि वह अपनी उंगलियां और आंख ही उससे नहीं हटाना
चाहते। वैसे ही भारत में स्वास्थ्य का मानक स्तर बहुत गिरा हुआ था अब स्मार्टफोन
ने संकट अधिक बढ़ा दिया है।
कौटिल्य अर्थशास्त्र में कहा गया है कि
------------
आमादयोहि जीर्यन्ते योग्यवैव दिवानिशम्।
चरेषु यत्र लक्ष्येषु बाणसिद्धिश्च जायते।।
हिन्दी में भावार्थ-दिन रात आमोद प्रमोद
विहार करने से अजीर्ण हो जाता है। लक्ष्य से अलग अन्य वस्तुओं पर निशाना लगाने से
बाण निष्फल हो जाता है।
एक तरह से यह स्मार्टफोन दिन भर मनोरंजन कर रहा है पर इससे उंगलियां और
आंखों पर जो दुष्प्रभाव पड़ेगा इसका आंकलन कोई नहीं कर रहा है। मुख्य विषय मानसिक
शक्ति का है जिसका संचय मौन, ध्यान और सांसरिक विषयों में विरक्त रहकर ही किया जा सकता है। अभी ऐसी अनेक
घटनायें हो रही हैं जिसमें सार्वजनिक जगहों पर बदमाश अकेले आदमी या महिला पर हमला कर देते हैं पर
पास ही चलने वाले लोग दर्शक बनकर देखते हैं या डर के मारे मुंह फेरकर चल देते हैं।
इससे एक बात प्रतीत होती है कि लोग मानसिक रूप से बहुत कमजोर हो चुके हैं। यह
हमारे कमजोर समाज की निष्क्रियता का द्योतक है। वैसे भी कहा जाता है कि सुविधाऐं
व्यक्ति का विलासी और विलासिता कायर बनाती है। अतः अपनी दृढ़ मानसिक स्थिति बनाये
रखने के लिये सुविधाओं का न्यूनतम उपयोग करना चाहिये। खासतौर से विद्युतीय तरंगों के प्रवाहिक
यंत्रों से आवश्यक संपर्क ही रखना चाहिये क्योंकि वह मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव डालती
हैं।.
---------------
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप
ग्वालियर मध्य प्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
Gwalior Madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
यह आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप का चिंतन’पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका
5.दीपक बापू कहिन
6.हिन्दी पत्रिका
७.ईपत्रिका
८.जागरण पत्रिका
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें