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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

7/29/2014

नीयत का सुनहरा संसार-हिन्दी कविता(neeyat ka sunhara sansar-hindi poem)



रूढ़ियों से लोग  बंधे हैं पशु की तरह
तर्क की रस्सी नहीं दिखती
फिर भी भेड़ की तरह चले जा रहे हैं।

जिंदगी के मंत्र का जाप करे कोई
फल की कामना कर कोई
स्वर्ग की चाह में जीते जी मरे जा रहे हैं।

ख्वाहिश है कि पैसे से परमात्मा की निकटता
बहुत जल्दी पा लेंगे
कमाया धन धर्म पर खर्च किये जा रहे हैं।

कहें दीपक बापू  काली नीयत से
सुनहरा संसार बनाने की ख्वाहिश में
नरक बना ली जिंदगी
भक्ति में आसक्ति का
रंग भरे जा रहे हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप 
ग्वालियर मध्य प्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh

वि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

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