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7/16/2013

भूखे को खाना-हिन्दी व्यंग्य कविता (bhookhe ko khana vah batenge-hindi vyangya kavita)




भूखे को खाना वह बाटेंगे,
समाज सेवा के बहाने
कमीशन से अपनी मलाई काटेंगे।
कहें दीपक बापू
कुदरत का यही करिश्मा है
इंसानो का पेट कभी भर नहीं सकता
कोई तीन पहर खाता
किसी को एक पहर भी नसीब नहीं
मगर हुकुमतों के दावे होते हमेशा
इतनी रोटी लोगों को खिलायेंगे
भूख का नामोनिशान नहीं होगा
नहीं मिलेगा कोई भूखा
चाहे हम कितना भी छाटेंगे।
वह समय कभी न आया न आयेगा
कौन बहस करे
कर लेते हैं यकीन
आसमान की तरफ उछालकर 
अपनी थूक क्यों चाटेंगे।

लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप
ग्वालियर मध्य प्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
वि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

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