ताबड़तोड़
वादे कर रहे हैं
भूल जायेंगे,
बड़े लोग हैं
भले के नाम पर
माल पायेंगे,
वादे शय हैं
जिनको बेचकर
पैसा लेना है,
बिक जायेंगे
ऊंचे दाम लेकर
भूल जायेंगे,
खरीददार
बदहवास लोग
भ्रम में फंसे
धोखा खाकर
फिर हाथ मलेंगे
भूल जायेंगे।
-----------
खाली हो गया
यकीन का खजाना
कहीं तो ढूंढो,
मुर्दा आशायें
सांस भरो उनमें
फिर से चलें
टूट जायेंगे
तुम्हारे घर भी
यह भी सोचो
भूख बेचते हो
रोटियां दिखाकर
अब न होगा
परदेस का
आसरा तुम्हें है
न इतराओ
हम बिखरे
तुम नहीं बचोगे
खौफ खाओगे
तुम अकेले
अभी तक जिंदा हो
किस्मत से
कालचक्र में
तुम भी शैतान
नाम पाओगे
तुमने फूंकी
यह लूट की आग
बढ़ रही है,
तुम जलोगे
इससे पहले ही
पानी तो ढूंढो।
वादे कर रहे हैं
भूल जायेंगे,
बड़े लोग हैं
भले के नाम पर
माल पायेंगे,
वादे शय हैं
जिनको बेचकर
पैसा लेना है,
बिक जायेंगे
ऊंचे दाम लेकर
भूल जायेंगे,
खरीददार
बदहवास लोग
भ्रम में फंसे
धोखा खाकर
फिर हाथ मलेंगे
भूल जायेंगे।
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खाली हो गया
यकीन का खजाना
कहीं तो ढूंढो,
मुर्दा आशायें
सांस भरो उनमें
फिर से चलें
टूट जायेंगे
तुम्हारे घर भी
यह भी सोचो
भूख बेचते हो
रोटियां दिखाकर
अब न होगा
परदेस का
आसरा तुम्हें है
न इतराओ
हम बिखरे
तुम नहीं बचोगे
खौफ खाओगे
तुम अकेले
अभी तक जिंदा हो
किस्मत से
कालचक्र में
तुम भी शैतान
नाम पाओगे
तुमने फूंकी
यह लूट की आग
बढ़ रही है,
तुम जलोगे
इससे पहले ही
पानी तो ढूंढो।
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
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