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4/10/2010

खून और पानी-हिन्दी शायरी (khoon aur pani-hindi shayri)

जमीन पर बिखरे खून पर भी
अपने ख्यालों की वह तलवार चलायेंगे,
कातिलों से जिनका दिल का रिश्ता है
वह उनके जज़्बातों का करेंगे बखान
लाश के चारों ओर बिखरे लाल रंग को
पानी जैसा बतायेंगे।
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गम भी बिकता है तो
खुशी भी बाजार में सजती है।
खबरफरोशों को तो बस
खबर परोसने में आती मस्ती है।
पेट की भूख से ज्यादा खतरनाक है
परदे पर चमकने का लालच
मांगने पर भीख में रोटी मिल सकती है
पर ज़माने में चांद जैसे दिखने के लिये
सौदागरों की चौखट पर जाना जरूरी है
उनके हाथ के नीचे ही इज्जत की बस्ती है।
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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com

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