गूगल का भी खेल समझ में नहीं आता। कभी कभी तो लगता है कि बस अब ब्लॉग स्पॉट के ब्लॉग फेल हुए और अब तो बस वर्डप्रेस के ही ब्लॉग पर ही लिखें। कभी ऐसा लगता है कि शायद कोई नाराजी है और इसलिए वह नहीं चाहते कि लिखें। कभी लिप्यान्तरण नहीं आ रहा था । उससे पहले कंपोज मोड़ काम नहीं कर रहा था। फ़िर अचानक सब ठीक हो गया। पिछले तीन दिन से तो नयी पोस्ट खोलना मुश्किल हो रहा था। मैंने सोचा कि अब तो ऐसे ही चलेगा पर आज जब खोला तो पाया कि लिप्यान्तरण में उन्होंने पहले से कहीं अधिक सुधार किया है। ऐसा लगता है कि उन्होंने इंडिक टूल को इस पर स्थापित कर दिया है।
पहले जब किसी अक्षर का विकल्प ढूंढना होता था तो उस पर माउस या कर्सर से सिलेक्ट करना पड़ता था पर अब बेक स्पेस से ही अक्षर का विकल्प आता है। ऐसे पहले इंडिक के हिन्दी टूल पर होता था। इसके अलावा तमिल, मलयालम, तेलगु और कन्नड़ भाषाओं के टूल भी वहाँ वैसे ही दिखाई दे रहे हैं जैसे इंडिक टूल पर थे। 'अ' हिन्दी में अब अपने बाएँ हाथ की तरफ कर दिया है जबकि पहले दाएं तरफ़ था।
इसका मतलब यह है कि गूगल और ब्लागस्पाट में सुधार की वजह से ही कभी कभी दिक्कत आती है और तब ऐसा लगता है कि अब आगे काम नहीं चलेगा । एक बार तो यह हालत यह हो गई थी कि कंपोज मोड़ काम नहीं कर रहा था और मैं इंडिक टूल से लाकर ब्लागस्पाट के ब्लॉग पर पोस्ट करता था तब ऐसा लगता था कि जैसे किसी पुराने कागज़ पर लिख रहा हूँ। सामने से ब्लॉग आकर्षित करते थे पर जब पोस्ट करने जाओ तब यह देखकर गुस्सा आता था कि क्या हम इस पुराने कागज पर लिखते रहें और लोग पढ़कर मजे लेते रहें। वैसे इंडिक टूल के बाद मैंने किसी ब्लॉग पर सीधे कोई पोस्ट बड़े आलेख के रूप में नहीं लिखी पर आज जब यह टूल देखा तो सोचा इस पर सीधे लिख कर यह देख रहा हूँ कि यह कितना उपयोगी है। हालांकि पहले से बेहतर लिख रहा है इसमें कोई शक नहीं है पर यहाँ अक्षरों में सुधार करना अभी पहले की तरह कठिन है जबकि गूगल के इंडिक टूल में थोड़ी आसानी होती है जिससे लिखने में गति अच्छी रहती है। इंडिक टूल में एक परेशानी होती है और वह यह कि उसमें पूर्ण विराम के रूप में डंडे की बजाय बिंदी आती है, और यहाँ डंडे के रूप में ही आ रहा है। दूसरी यहाँ अपने लेख में सुधार करने में बहुत समय लगता है जब कि इंडिक टूल में चाहे जब माउस या कर्सर से पहुँचा जा सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि गूगल के यह नए परिवर्तन दिलचस्प तो हैं ही साथ ही यह संदेह भी ख़त्म कर देते हैं कि उसके ब्लॉग अधिक नहीं चलेंगे जैसा कि कभी-कभी उनमे लिखने या पढने में परेशानी आने पर लगता है। मैंने यह आलेख केवल इस नए परिवर्तन के उपयोग करने की दृष्टि से लिखा है क्योंकि पिछले तीन दिन से मुझे अपने इन ब्लागस्पाट के ब्लॉग पर लिखने में परेशानी हो रही थी। हो सकता है कि कुछ लोगों ने इन परिवर्तनों को पहले देखा हो पर मैंने इनको आज देखा है।
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
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वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 वर्ष पहले
2 टिप्पणियां:
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