आस्ट्रेलिया में चल रही पांच दिवसीय क्रिकेट मैच में जिस तरह पहली पारी ढहने से अंपायर स्टीव बकनर ने जिस तरह कंगारुओं की जिस तरह बचाया उसे देखते हुए बहुत पहले पाकिस्तान की अंपायरिंग की याद आते है तब कहा जाता था की पाकिस्तान में तेरह खिलाडी खेलते हैं। जब से तीसरे देश के अंपायर रखने की परंपरा शुरू हुई है तब से उसके बारे में ऐसी चर्चा बंद हो गई पर अब किसी को विलेन तो रहना है वरना क्रिकेट में हीरो की कद्र कौन करेगा? किसी को विलेन बनाकर ही हीरो को लोगों के सम्मुख प्रस्तुत कर उनके जजबातों का फायदा उठाया जा सकता है।
क्रिकेट में आजकल स्टीव बकनर इस तरह का रोल निभाने के लिए तैयार हो रहे हैं। भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ी उनके पक्षपात का शिकार रहे हैं। बस एक अंतर है वह यह की पाकिस्तान के खिलाड़ी मुखर होकर आरोप लगाते है और भारतीय खिलाड़ी अपनी व्यावसायिक मजबूरियों के कारण चुप रह जाते हैं। जबकि जानते हैं कि यह खेल ही भारत की आर्थिक शक्ति के दम पर चल रहा है। स्टीव बकनर ने कल तो हद ही कर दी पता नहीं क्यों इतना खौफ था कि एंड्रू साइमंस को दो बार आऊट नहीं दिया। लगता है कि अब खिलाड़ी जो रोल नहीं निभा पा रहे या उसका जिम्मा अंपायरों पर डाला जाने वाला है, कोई खिलाडी जो आऊट होना चाहता है पर अंपायर दे नहीं रहा और कोई अच्छा खेल रहा है तो उसे गलत आउट दे दो।
कल के किस्से पर एक और किस्सा याद आया। कोलंबो में एक प्रतियोगिता में आस्ट्रेलिया और पाकिस्तान दोनों ही मैच हारना चाहते थे। अखबारों में उस समय प्रकाशित चर्चा के अनुसार उस मैच में दोनों की रूचि मैच जीतने पर मिलने वाली राशि से अधिक हारने पर दो नंबर में मिलने वाली राशि में अधिक थी-इस आरोप पर अखबारों पर में खूब चर्चा हुई थी। मैंने इसे पढा तो हंसी आयी। कल और आज जो स्टीव बकनर और सायमंड को देखकर उसी की याद आयी।
सायमंड ने तय कर लिया होगा कि-'' यार इंडिया के खिलाफ बहुत बार अच्छा खेल लिया और खराब खेल कर सबको चौंका दो। फिर कभी भारत जाना है, कहीं ऐसा न हो कुंबले एंड कंपनी डर के मारे क्रिकेट खेलना छोड़ दें तो आगे कमाई कैसी होगी आखिर क्रिकेट चल तो भारत की वजह से रहा है। इस बार मौका दो ताकि आगे भी खेलते रहें।''
बकनर सोच रहा होगा-''ऐसे कैसे? आज मैं भी अपनी ताकत दिखा दूं। ऐसा तो नहीं यह कहीं अपना आऊट होना फिक्स कर आया हो। अगर कर आया होगा तो भारी कमीशन मिला होगा। कुछ कमीशन दे दो में इसे जाने देता हूँ।
ऐसा भी हो सकता है कि क्रिकेट के लिए कोई विलेन की जुगाड़ करना हो और उसके लिए बकनर तैयार हुए हों क्योंकि अगर उनके इस तरह के फैसले होते रहे तो लोग चिढ जायेंगे, और कहीं इसके बावजूद भारत की टीम जीती तो बस आ गया मजा। क्रिकेट को लोगों के बीच फिर एक लाइफ लाइन मिल जायेगी-जैसे ट्वेन्टी-ट्वेन्टी में भारत के जीतने पर मिली। उसके बाद फिर भारत में क्रिकेट का खेल भारत में जनचर्चा का विषय बना था पर अब फिर लोग निराश हो गए हैं क्योंकि पुराने खिलाड़ी फिर उनके सामने आ गए हैं।
अब यह पता नहीं लग रहा है कि भारत के खिलाड़ी इस पर क्या करेंगे? कभी कहते हैं कि इसकी शिकायत करेंगे तो कभी कहते हैं नहीं करेगे? एक सवाल जो उठता है कि स्टीव बकनर का शिकार भारत के खिलाड़ी ही क्यों हो रहे हैं आस्ट्रेलिया के क्यों नहीं? इससे एक बात साफ जाहिर होती है कि वह समझता है कि विश्व की असली ताकत अभी गोरों के पास है और एशिया के देश कितने भी आर्थिक दृष्टि से शक्तिशाली हो जाएं पर नियंत्रण तो गोरों का ही चलेगा। इसलिए उनकी बजाते रहो ताकि काले लोगन को मौका मिलते रहें। उसके खिलाफ अधिक शिकायत करने वाले देश एशिया के हैं क्या इससे यह सिद्ध नहीं होता। शायद भारत के खिलाड़ी भी कुछ कहने में डरते होंगे क्योंकि इंग्लेंड में अंपायर का विरोध करने पर अपने पडोसी देश पाकिस्तान के कप्तान इंजमाम उल हक़ का जो हश्र हुआ सबने देखा है। बहरहाल इतना तो कहा जा सकता है कि पहले पाकिस्तान के बारे में कहा जाता अब आस्ट्रेलिया के बारे में भी यही कहा जा सकता है कि वह १३ खिलाडियों के साथ खेल रहा है।
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