हाथ के स्पर्श से किसी के बदन को
तसल्ली मिलती है तो
उसे छूकर क्यों नहीं देते सुखद अहसास
चंद अल्फाजों से किसी के दिल को
हमदर्दी मिल जाती है
तो अपनी जुबान से बोलकर
क्यों नहीं देते किसी को सुखद अहसास
अपने देखने से किसी को
अच्छा लगता है
तो क्यों नहीं अपनी नजरें इनायत कर
किसी को क्यों नहीं देते अहसास
क्या डरते हैं
अपने से लड़ते हैं
सोचते हैं
किसी को सुखी देख
परेशान होगा मन
ए जिन्दगी को आकाश वाले का तोहफा
माननी वालों
दुख से सजा है यह उसका तोहफा
इसे मिलजुलकर सुख बना दो
इसलिए अक्ल दी है
बांटकर एक दूसरे का दुख-दर्द
क्यों नहीं देते एक दूसरे को सुख का अहसास
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
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3 वर्ष पहले
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