पहले ब्लोगर के घर के दरवाजे पर उसके पत्नी खडी सब्जी वाले से सामान लेकर अन्दर जा रही थी तभी दूसरा ब्लोगर वहाँ पहुचं गया। उसका चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे गुस्से में है उसने लगभग फुफकारते स्वर में कहा-'कहाँ है वो।'
उसका यह रवैया उस भद्र महिला को समझ में नहीं आया उसने पूछा-''कौन वो? और महाशय आप हैं कौन? एक बार आप आ चुके हैं पर परिचय नहीं दिया था।'
दूसरा ब्लोगर बोला-''आप तो उसको बाहर बुलाओ, कहो मैं आया हूँ।''
"अरे कौन वो बोलूँ?" उसने पूछा।
इतने में पहला ब्लोग बाहर आया और उसे देखते ही बोला-''अरे तुम? इधर अचानक कैसे आये।''
''यह है कौन? ऐसे अपने हाथ में जेब डालकर हाथ क्यों घुमा रहा है। यह आपकी तरह कोई ब्लोगर तो नहीं?'' पत्नी ने सशंकित नजरों से पहले ब्लोगर से पूछा।
''नहीं यह भला आदमी मेरा दोस्त है।"पहला ब्लोगर ऐसा कहकर उसे घर से दूर ले गया।
फिर उससे बोला-''तुम इधर क्यों आये। यार तुम्हें पता नहीं अभी घर पर पता लग जाता कि तुम ब्लोगर हो तो हंगामा हो जाता।''
'मैं बहुत गुस्से में हूँ। आज मैंने एक जगह तुम्हारे ब्लोग के नाम देखे। उनको कला और समाज की श्रेणी में रखा गया है। मुझे बताओ तुम ऐसा क्या लिखते हो जिससे उसे कला और समाज से जोडा जाये। अरे, यह किताबों से उठाकर लिखना तो मैं भी जानता हूँ। पर हम हैं असली ब्लोगर।''ऐसा कहकर वह अपने जेब से बीडी का बंडल निकाला और पीने लगा।
पहले ब्लोगर ने कहा-'यहाँ से थोडा दूर पार्क है वहीं चलकर बैठते हैं और बीडी वहीं पीना। क्या इमेज खराब करवाओगे। अडोस-पड़ोस वाले कहेंगे की बीडी वाले से दोस्ती करता हूँ।'
दूसरा गुस्से में बोला-'मैं दोस्त हूँ? अरे, तुम सबको धोखा दे सकते हो पर मुझे नहीं, अरे तुम कला और समाज श्रेणी के ब्लोगर कैसे हो सकते हो? ज़रा समझाना तो सही।
पहला-'पहले यह बताओ के तुमने मेरा ब्लोग देखा कहाँ था?'
दूसर ब्लोगर इस प्रश्न से चकरा गया और हकलाते हुए बोला-''अरे वो।। अरे मैंने आज कुछ फोटो वगैरह देखने के लिए सर्च किया था। वहाँ पता नहीं कोई बहुत सारे फोटो थी और उसमें तुम्हारे ब्लोग का नाम कला और समाज में देखकर गुस्सा आ गया। मेरा तू मूड ही खराब हो गया।
''पहले ब्लोगर-कहीं कोई चौपाल होगी, अरे वह भी आजकल कुछ चौपालें भी लाइब्रेरी जैसी हो गयीं हैं।''
दूसरा ब्लोगर कुछ हो गया-''हाँ याद आया, अरे वह लाइब्रेरी जैसी नहीं फोटो स्टूडियों जैसी चौपाल थी। वह तो गनीमत थी तुम्हारा फोटो नहीं दिखा। नहीं तो फाड़ देता।
पहले ब्लोगर ने पूछा'-क्या कंप्यूटर।''
''नहीं अपने पास रखा पुराना अखबार। पर पहले यह बताओं तुम जैसे घटिया ब्लोगर को कला और समाज की श्रेणी में क्यों रखा गया है?''
पहले ब्लोगर ने कहा-''हाँ, मुझे भी लग रहा है। पर मेरे ब्लोग को कहाँ रखते "खिचडी श्रेणी'' में, मुझे भी अपे लिए यही श्रेणी ठीक लगती है।
''दूसरा ब्लोगर बोला-''क्या बकवास करते हो। खिचडी श्रेणी तो बहुत अच्छी लगती है तुम्हारा ब्लोग "अधपकी खिचडी श्रेणी" में रखा जाना चाहिए।''
अब तो पहले ब्लोगर को भी गुस्सा आने लगा था वह बोला-''अधकचरा श्रेणी में अपने ब्लोग रखने के लिए उनको कहूं तो कैसा रहेगा।
''दूसरा बोला-''नहीं, मैं पढ़ते हुए शर्म महसूस करूंगा, और कभी अपना रुत्वा दिखाने किसी को वहाँ ले गया तो अच्छा नहीं लगेगा। हाँ, तुम्हारे सभी ब्लोग 'अधपकी खिचडी' श्रेणी के लायक हैं। और तुम अपना फोटो मत भेजना तुम्हारी सूरत देखकर मैं डर जाऊंगा।''
पहला ब्लोग मुस्कराया और बोला-''वैसे तुम्हारा ब्लोग किस श्रेणी में है ज़रा बताओगे? क्या लिखते हो आजकल?''
दूसरा ब्लोगर बोला-''मैं तुमसे सीनियर हूँ मुझसे कोई सवाल मत पूछो। बस अपने ब्लोग अधपकी खिचडी श्रेणी में रखवा दो, मैं तुम्हें इतनी इज्जत से नहीं पढ़ सकता।
पहले ब्लोगर को भी थोडा ताव आने लगा था और वह उसकी आंखों में आँखें डालकर बोला-''तुम दूसरों के ब्लोग पढ़ते हो?''
दूसरा ब्लोगर बीडी फैंक कर खडा हो गया और बोला-'अब मैं जा रहा हूँ।''
उसने पहले ब्लोगर की तरफ देखा भी नहीं और चला गया। पहला ब्लोगर उसे देखता रहा। वह जब चला गया तो उसे यह ख्याल आया कि उसने यह तो पूछा ही नहीं कि इस ब्लोगर मीट पर हास्य कविता लिखनी है कि नहीं। फिर उसने सोचा चलो इस बार भी हास्य आलेख लिखने में मेहनत कर लेते हैं।
नोट-यह हास्य-व्यंग्य काल्पनिक है और किसी व्यक्ति या घटना से इसका कोई लेना-देना नहीं है और किसी की कारिस्तानी से मेल खा जाये तो वही इसके लिए जिम्मेदार है। इन पंक्तियों का लेखक किसी ऐसे दूसरे ब्लोगर से नहीं मिला।
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 वर्ष पहले
3 टिप्पणियां:
बहुत अच्छा हास्य !!!
बीड़ी बुझा लो इधर मां बड़ी आग है। :)
हास्य के साथ भरपूर व्यंग है भाई, दीपक भईया वाह मजा आ गया ।
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