घर में उसे अकेलापन डराने लगा
और वह भीड़ में पहुंचा
उससे बचने के लिए
वहाँ भी उसने सबको अकेले
अपने लिए ही सोचते देखा
भीड़ में सब बोल रहे थे
पर कोई खडा नहीं था सुनने के लिए
उसने सोचा वही
जब सब अपना दर्द सूना रहे हैं तो
स्वयं हीसबकी सुन लेता है
शायद बाद में कोई तैयार हो जाये
उसकी बात सुनने के लिए
सबकी बात सुनते वह हैरान हो गया
भूल गया कि उसका दर्द क्या था
जिसको लेकर वह इतना परेशान हो गया
वह चल पडा फिर अपने घर
दूसरों के दर्द की तस्वीर लिए
अब वह अकेला नहीं था
दूसरों की आपबीती भी उसके साथ थी
उसे अकेलेपन में समझाने के लिए
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
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3 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
आपने बहुत बढि़या लिखा है। पढ़कर अच्छा लगा,बहुत खूब!
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