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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

10/12/2007

दिल के पास

दिल के पास हैं जो
उनकी शरीर से दूरी
का अहसास इतना नहीं सताता
जितना दिल के दूर
रहने वाले का पास होने पर डराता
राह पर चलते हुए कई हमसफर मिलते
पर सभी मन के मीत नही बनते
हर कोई अपनी मंजिल आते ही
अपना साथ छोड जाता
जो हमारे दिल को दे सुकून
उसे हम याद रखते
जिसे हम दे तसल्ली
वही हमें अपनी यादों का हिस्सा बनाता

3 टिप्‍पणियां:

Rachna Singh ने कहा…

दिल के पास हैं जो
उनकी शरीर से दूरी
का अहसास इतना नहीं सताता
आप की इन लाइनो को चुरा कर अप्ने ब्लोग पर सजाने का मन हुआ . बहुत सुन्दर

Sharma ,Amit ने कहा…

बहुत सुंदर !!!

पारुल "पुखराज" ने कहा…

अच्छी और सच्ची बात्, सुदंर पंक्तियां………

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