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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

9/15/2007

विकिपीडिया:यहाँ कमा कौन रहा है और वहाँ किसके लिए लिखें

विकिपीडिया में हिंदी भाषा की रचनाओं की कमी को लेकर अनेक लोगों ने हिंदी ब्लोग लेखकों पर अनेक प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं। कुछ लोग कह रहे हैं कि साहब हिंदी के ब्लोग लेखक पैसे के लिए लिख रहे हैं, और कुछ यही कह रहे हैं कि अभी हिंदी ब्लोग की कमाई नगण्य हैं-इसका मतलब यह कि इस मामले में किसी के पास पूरी जानकारी नहीं है। । जो इस देश के वरिष्ठ ब्लोगर जिनके पास इस संबंध में तकनीकी जानकारी हैं, उनमें से खुलकर नहीं कह रहा कि विकिपीडिया पर लिखो। जहाँ तक मेरा विचार है तो मैं देख सकता हूँ कि अभी हिंदी के ब्लोग लेखक पैसे कमाने से बहुत ज्यादा दूर हैं। जो कमा रहे हैं उनकी संख्या नगण्य हैं और उनको लेकर ज्यादा भ्रम नहीं फैलाना चाहिए। उसको लेकर यह कहना कि सब ब्लोग लेखक कमा रहे हैं वह गलत हैं। और जहां तक दान का प्रश्न है तो सीधा जवाब है कि वह हमेशा सुपात्र को दिया जाता है और यहा अपनी रचना फ़ेंकने की बात हो रही है। एसा दान किस काम का जो लोक में भी काम न दे और न परलोक में भी ।
पहले कर लें विकिपीडिया में हिंदी भाषा की रचनाओं की संख्या की बात। भारत में इस समय हिंदी ब्लोग के कई फोरम हैं जिनमें चार तो प्रमुख हैं ही-नारद, ब्लोगवाणी, चिट्ठाजगत और हिंदी ब्लोग। लोग इसमें ख़ूब लिख और पढ़ रहे हैं। जब आप दूसरी भाषाओं का हवाला दें तो यह भी बताएं कि क्या उनके पास एसे फोरम हैं और यह भी क्या इन फोरम का कोई महत्व नहीं है। मैंने उस दिन देखा था इन चारों फोरम को विकिपीडिया पर भी दिखाया गया था। मतलब यह कि जो लोग हम लिख रहे हैं वह भी विकिपीडिया पर देखा जा सकता है। यह फोरम पर जो लिखे रहे हैं वह क्या पढने के लिए नहीं लिखे रहे। बार-बार कमाने की बात कहकर हिंदी के ब्लोग लेखकों बदनाम किया जा रहा है। ज़रा यह भी बता दें के कितने लोगों को अभी तक पूरा रोजगार मिला है। ऐक दो को नाम लेना बेकार होगा क्योंकि लिखने वाले हजारों में हैं।
विकिपीडिया ऐक बहुत बड़ा अंतर्जाल है और मैंने देखा है कि बच्चे उसमें अपने विषयों से संबंधित सामग्री ढूंढते हैं। मैंने उसमें कुछ रचनाएं डालीं पर वहां कहाँ दिखती हैं मुझे आज तक नहीं पता। कोई पढ़ रहा है या नहीं? इसका पता ही नहीं लगता। ऐक पाठक के रुप में मैं वहाँ किसी की रचना भी नहीं पढ़ पाया तो मैं कैसे मान लूं कि वहां मुझे पढा जा रहा है। इन फोरम पर लिखते हुए कम से कम यह तो पता लगा ही जाता है कि कोई हमें पढ़ रहा है। कमेन्ट दे या न दे पर हम यह संतोष तो कर ही लेते हैं इसे पढा गया। क्या और भाषाओं के पास ऐसे फोरम की ताक़त है-कम से कम इसकी जानकारी भी देनी चाहिए। मैंने ऐक नहीं कम से कम कम से चार पोस्ट पढी हैं जिसमें विकिपीडिया में हिंदी भाषा की पोस्ट कम होने का हवाला देकर ब्लोग लेखकों पर पैसे कमाने का आक्षेप लगाया जाता है। गूगल के विज्ञापन तो सबने लगा रखे हैं पर उसने किसको कितनी आय हुई है यह तो पता लगे तब हम इस आरोप को मान लें।

ऐसे लोगों के कुछ आंकडे लिखने से पाठकों पर उलटा असर होता है। मैं शब्द लेख सारथी पर प्रतिदिन कबीर और चाणक्य के विषयों पर लिखता था। ऐक दिन ऐक अपनी कमेन्ट में रख गया कि आपके ब्लोग पर विज्ञापन लगा है तो आप कमाई करेंगे। मुझे बड़ी हैरानी हुई क्योंकि अगर आप मेरे खाते में देखेंगे तो ऐक भी पैसा देय नहीं है और तो और मैं उस ब्लोग पर अपना असली नाम भी नहीं लिख रहा था और जहाँ तक उस विज्ञापन का सवाल है मुझे अपने पाठको की संख्या को देखते हुए तीन साल से ज्यादा लगा जायेंगे। उसकी यह कमेन्ट मुझे ऐसे ही प्रचार से प्रेरित लगी। १२ से १५ पाठक मिलकर मुझे इतनी आसान से सौ डालर गूगल से दिलवा देंगे इस बात पर यकीन नहीं करता।मैंने जब शुरू में जब विज्ञापन लगाए थे तो मैं यही समझा कि चलो यह शो के काम आ जायेंगे।

ऐक बात और है। हमारा देश बहुत बड़ा है और हिंदी भी दूर दूर तक फैली है। फिर हम लिख रहे हैं कंप्यूटर पर जिसकी पूरी जानकारी आम लेखक तो क्या सोफ्टवेयर इंजीनियर के पास भी नहीं है। जब मैं ब्लोग बना रह था तो कई सॉफ्ट वेयर इंजीनियरों के पास गया था पर कोइ भी मेरे मदद कर सका उल्टे मेरे से ब्लोग की जानकारी लेकर खुद ब्लोग बनाए। विकिपीडिया को रोज देखने वालों को भी नहीं प[अता कि इसका कोई हिंदी टूल भी है। ऐसे में कई लेखक हैं जिन्हें यह भी पता नहीं कि यह है क्या चीज। मैं आशावादी हूँ कि यह हमारे फोरम ही हिंदी को उस मुकाम तक पहुँचेंगे इसका मुझे भरोसा है। विकिपीडिया पर कितने लोग हिंदी पढ़ रहे है क्या इसका भी कोई आंकड़ा है। मैं जमीनी हकीकतों की बात करता हूँ कि जिन लोगों को विकिपीडिया खोलते देखा है उसमें से किसी ने भी हिंदी को पढने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। जहाँ तक रह पैसे का कमाने का सवाल तो भाई हमें न तो कोई पैसा मिला है और ना ही भविष्य में इसके कोई आसार हैं, और जिन लोगों ने अभी अभी ब्लोग लिखना शुरू किया मैं उनसे साफ कहना चाहता हूँ कि वह किसी भी ऐसे प्रचार में न आयें जिससे उनका मनोबल गिरे। जब हिंदी के फोरम ही पाठकों के लिए तरस रहे हैं तो विकिपीडिया में क्या आसमान से आएंगे जिसे लोग केवल अपने तकनीकी विषयों से संबंधित जानकारी के लिए खोलते हैं।

आखरी बात यह कि लोग पता नहीं कैसे ब्लोग की तकनीकी जानकारी लेकर यहाँ तक पहुँचते हैं और उनसे कहा जाये कि विकिपीडिया पर लिखो तो वह सोच में पड़ जाएगा और लिखना भूलकर विकिपीडिया के पीछे जाएगा। लिखे तो पूरे जानकारी लिखें कि उसे कहाँ लिखे, कहॉ पढ़ें और कैसे पता लगे कि कोई उसे पढ़ रह है..........वगैरह....वगैरह...क्योंकि जो सभी जगह विकिपीडिया के आंकडे हिंदी पोस्ट के बारे में दिए जा रहे हैं उनमें फोरम की पोस्ट भी शामिल होनी चाहिऐ क्योंकि मैंने देखा था कि वह दिखाए जा रहे दूसरा क्या अन्य भाषाओं के पास भी ऐसे फोरम हैं? मैं तकनीकी रुप से ज्यादा जानकारी नहीं रखता पर मेरी रूचि आंकड़ों के अलावा अन्य तथ्यों पर रहती है। मैं हवा में बैठकर विचार नहीं करता पर इसका मतलब यह नहीं है कि मुझे कोई आपत्ति है पर उसकी परिणाम तत्काल ना भी आयें पर उनका स्वरूप तो स्पष्ट होना चाहिऐ। हमने न हो पर किसी और का तो फायदा होता दिखाना चाहिए। इस मामले में मेरा साफ मानना है कि विकिपीडिया का नाम लेकर हिंदी के ब्लोग लेखकों का मनोबल नहीं गिराना चाहिऐ कि तुम विकिपीडिया के लिए नहीं लिखते क्योंकि तुम पैसा कमाने के लिए रहे हो। इस मामले में देश के दो माने हुए ब्लोगारों ने कभी नहीं लिखा इसका मतलब यह कि इसमें कोई दम नहीं है। यह एक भ्रमजाल है कि विकिपीडिया पर लिखो। पहले पाठक दिखाओ फिर लिखवाओ। साथ ही यह भी बताओ कि क्या दूसरी भाषाओं के पास ऐसे फोरम हैं।

4 टिप्‍पणियां:

Sanjay Tiwari ने कहा…

बहुत सही चिंतन किया है आपने. थोड़ा विस्तार में है, मुझे लगता है इसे और संक्षेप में कहा जा सकता था. खैर,
विकी के बारे में आपके चिंतन से मैं पूरी तरह सहमत हूं. मैं इस बात का पक्षधर हूं कि अपना ब्लाग, वेबसाईट हो और उसकी जानकारी विकी के जरिए भी उपलब्ध हो.

उन्मुक्त ने कहा…

मैंने फिछले साल फरवरी के अन्त में चिट्टाकारी करना शुरू किया और विकिपीडिया पर भी लिखता हूं और दुसरों को भी कई बार लिखने के लिये प्रार्थना की है। इस चिट्ठी के उन सारी चिट्ठियों की लिंक है जिसमें मैंने लोगों को लिखने के लिये प्रेरित किया।
मैं पैसे के लिये नहीं लिखता हूं। न कभी इससे पैसे कमाना चाहता हूं। मैं नहीं जानता कि कितने लोग विकिपीडिया में, मेरे लेख को पढ़ते हैं। मैं विकिपीडिया पर इसलिये लेख डालता हूं क्योंकि मेरे हिसाब से यह अच्छा काम है।
यह भी सच है कि बहुत से लोग मेरे चिट्ठों पर विकिपीडिया से आते हैं और इनकी संख्या कम नहीं है

dpkraj ने कहा…

उन्मुक्त जी
अगर में यह ब्लॉग लिख रहा हूँ तो आप शायद नहीं जानते कि इसमें
आपकी प्रेरणा है और आपके लेखों के आधार पर मैं अपनी कई रचनाएं विकिपिडिया पर डाल भी आया पर कोई वहां से प्रेरणा नहीं मिलती। दर असल बात यह है कि कुछ
लोग बार-बार कि हिन्दी के ब्लॉगर पैसे के लिये लिख रहे हैं और विकिपिडीया में हिन्दी
के हालत शोचनीय है जैसे जुम्ले मुझे आपत्तिजनक जनक लगते हैं। इस वजह से लोगों में
गलतफहमी फैलती है। आप जानते हैं कि ब्लोगर क्या कमा रहे हैं।कुछ लोग
कतरन लेकर छाप देते हैं कि विकिपीडिया में हिन्दी के हालत खराब है। चीन में
भी हिन्दी के हालत खराब है जो कि हमारी तरह एक आर्थिक् महा शक्ति है तो क्या हम वहां
की वेब साइटों में भी हिन्दी डाल दें। दूसरा मुझे यह आक्षेप कि ब्लोगर पैसा कमा रहे हैं, बहुत बुरा लगता है क्योंकि यह सत्य से परे है।

इधर में देख रहा हूँ कि जिसे हिन्दी पड़ना है वह हमें ढूंढ ही लेता है। मेरे पास कई ऐसे ईमैल जो वर्डप्रेस के ब्लॉग्स पर आते हैं उससे पता लगता है कि हिंदी अपनी सही दिशा में जा रही है। बार यह कहना कि हिंदी के ब्लोगर पैसे के लिये लिख रहे हैं मुझे पसंद नहीं है क्योंकि यहां न तो पैसा मिला है न आसार हैं। मैं आपका आभारी हूं कि आपने अपनी बात रखी और मेरा इसी तरह मार्गदर्शन करें।
दीपक भारतदीप

बेनामी ने कहा…

क्षमा कीजिये लेकिन आप शायद विकिपेडिया को ढंग से समझ नहीं पाये हैं. विकिपेडिया ओपन सोर्स encyclopedia है.विकिपेडिया ज्ञान का भंडार है, और इसमें वृद्धि के लिए हम जैसे लोगों का योगदान आवश्यक है. विकिपेडिया नारद जैसा चिट्ठाकारों का फॉरम नहीं है. अगर हम लोग विभिन्न विषयों पर नहीं लिखेंगे तो किसी विषय पर हिन्दी में जानकारी कैसे प्राप्त हो सकती है. और विकिपेडिया पर आप आपनी रचना नहीं लिख रहे हैं. ना ही कोई आपके लिखे पर टिप्पणियाँ देगा. विकिपेडिया पर लिखने में खुशी ये है कि पाठकों को सभी जानकारियां हिन्दी में मिल सकेंगी. उदाहरण के लिए मुझे प्रेमचंद के बारे में कुछ पढ़ना है तो अंग्रेजी में ज्यादा जानकारी है बजाय हिन्दी के.अगर हम ये सब (और इससे ज्यादा भी ) हिन्दी में उपलब्ध करवा सकें तो कोई अंग्रेजी वाला विकिपेडिया क्यों पढ़ेगा?

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