प्रात: मैं अपनी छत पर योग साधना करने के लिए अपने सामान के साथ पक्षियों के लिए दाना भी ला जाता हूँ। मुंडेर पर उन दानों को बिखेरने और पानी भर कर रखने के बाद अपनी योग साधना में तल्लीन हो जाता हूँ। उस समय अँधेरा होता है और जैसे ही थोडी रोशनी होनी शुरू होती हैं सबसे पहले गिलहरी का आगमन होता है। मेरे पास से निकलती गिलहरी दाने की तरफ जाती है तो मेरी तरफ देखती जाती है, पता नहीं क्या सोचती है और जैसे-जैसे मेरी तल्लीनता बढती है वैसे वैसे ही चिड़ियाओं के झुंड की आवाजें मेरे कानों में गूंजती है।
वह मुंडेर मेरे से दस फूट की दूरी पर है और वैसे कहते है कि योग साधना में कहीं ध्यान भटकना नहीं चाहिए पर मेरा मानना है कि इन पक्षियों का मेरे सामाजिक जीवन से कोई सरोकार नही है और उनकी तरफ ध्यान लगाना लगभग वैसा ही है जैसे दुनियादारी से ध्यान हटाना। कई बार तो मैं वहाँ पांच-छः प्रकार के पक्षी देखता हूँ, जिसमें तोता और कबूतर भी शामिल हैं। उनको देखकर जो मुझे अनुभूति होती है उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं है। अगर मैं यह कहूं कि मेरा वह हर दिन का सर्वश्रेष्ठ समय होता है तो उसमें कोई आश्चर्य नहीं करना चाहिऐ।
पता नहीं उनके मन में भी कुछ चलता है। जब मैं सर्वांगासन के लिए टांगें ऊपर किये होता हूँ तब चिड़ियायेँ बिल्कुल मेरी टांगों की पास से निकल जातीं हैं। उस समय मैं आंखें बंद किये होता हूँ तो डर जाता हूँ। मजे की बात यह है इतने सारे आसनों के बीच नही निकलतीं। उसके तत्काल बाद मैं शवासन करता हूँ , और उस समय भी वह ऐसा ही करतीं है । शवासन के समय कभी कभी गिलहरी भी छूकर भाग जाती है। मुझे उस समय हंसी आती है क्योंकि उनका इस तरह खेलना अच्छा लगता है। वैसे कई वर्ष से ऐसा हो रहा है पर मैं ध्यान नहीं देता था पर पांच-छः महिने पहले ऐक चिड़िया सर्वांगासन के समय मेरी टांग से टकराकर मेरे मुहँ पर गिरी और फिर भाग गयी। उसके बाद से मैंने उनकी गतिविधियों पर ध्यान देना शुरू किया। पहले तो दाना डालकर अपनी आँखें बंद कर योग साधना किया करता था। इन पक्षियों की चहचहाने की आवाज में जो माधुर्य है वह किसी संगीत में नहीं मिलता। और यह ऐक एसी फिल्म है जो कभी भी पुरानी होती नजर नहीं आती। ऐक एसा आनंद आता है जो अवर्णनीय है। शेष फिर कभी
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 वर्ष पहले
2 टिप्पणियां:
अदभुत है, आप भाग्यशाली हैं कि आपमें अनुशासन है, आपके पास छत हैं, दाने हैं और पंछी भी. आनंद आया पढ़कर.
पक्षियों के खाना खिलाने पर आपसे उकसित हो मैं भी अपना अनुभव जल्द लाता हूँ. आहा...क्या असीम आनन्द है भाई. मैं आपका लिखा समझ रहा हूँ....आभार.
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