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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

9/06/2014

इंसान की चिंता और मन के व्यापारी-हिन्दी व्यंग्य कविता(insan ki chinta aur man ke vyapari=hindi satire poem)



कहीं किसी के हृदय की
संवेदनायें उभारकर
मानवता का पाठ
पढ़ाते हैं।

कहीं किसी के दिमाग पर
भय का बोझ डालकर
रक्षा के लिये
अपना वादा जताते हैं।

देह के चिकित्सकों की तरह
मन के व्यापारी भी बहुत हैं
दवा नहीं किसी के पास
मगर इलाज के लिये
प्रसिद्ध हो जाते हैं।

कहें दीपक बापू हवा में
उड़ते इंसान की चिंतायें बहुत
भीड़ लगी समस्या का
हल पूछने वालों की
तंत्र का हो या अध्यात्मक के
चिंतकों के वारे न्यारे हो जाते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप 
ग्वालियर मध्य प्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh


वि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

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