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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

10/02/2009

बहस और परिणाम-हास्य व्यंग्य कवितायें (disscusion and result-hindi poem)

नये नये विषय पर
रोज होती बहस
मगर शून्य आता परिणाम।
निष्कर्ष के लिये रुचि किसमें हैं
नये नये शब्दों और विचारों से सजे
तर्क और वितर्क बेचना
बाजार को हो गया है काम।
...........................
आओ किसी विषय पर बहस करें
जमाने को दिखाने के लिये लड़ मरें।
क्या पता प्रचार में नाम हो जाये
जिससे अपने भी घर दौलत से भरें
...............................




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