जिन्दगी के पल- पल में
दृश्य बदल जाते हैं
हर दृश्य में हम देखते हैं
बस अपने गुजरते पल
जिन्हें अपने दिमाग में
संजोये रख पाते हैं
दिखता बहुत कुछ और भी
पर हम कितना उसे देख पाते हैं
आंखों के सामने दृश्यों
आने-जाने का अर्थ यह नहीं है कि
हम उन्हें देख पाते हैं
जब तक दिलो-दिमाग तक
उनके होने का आभास न हो
हमने देखा यह नहीं कह पाते हैं
शायद इसलिये ही
अपने चारों और फैले रौशनी में भी
अपने मन में अँधेरा पाते हैं
शायद इसलिये कहते हैं कि
मन की आंखें खोल
दुनिया को अपनी दृष्टी में तौल
प कान होते हुए भी कहाँ सुन पाते हैं
जिन्दगी तो सभी गुजारते हैं
पर उसका अहसास दिल वाले ही कर पाते हैं
आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
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रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
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हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
7 वर्ष पहले
2 टिप्पणियां:
जिन्दगी तो सभी गुजारते हैं
पर उसका अहसास दिल वाले ही कर पाते हैं
-सही फरमाया, दीपक भाई.
very nice poem
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