लोग तो बस अपनी खुशी की खातिर जीते हैं
गम हो या खुशी का मौका बस जाम पीते हैं
कोई ख्वाहिश हो जाती है पूरी तो
नहीं हो तो भी अफ़सोस में पीते हैं
कहीं से अपने लिए उम्मीद हो तो
न हो तो भी नाउम्मीन्दी में पीते हैं
किसी से सवाल का जवाब मिल जाये तो
नहीं तो भी ग़ुस्से में पीते हैं
कोई मौका नहीं छोड़ते पीने का
नहीं मिलता तो भी पीते हैं
हर जाम पर पीती है शराब उनको
पर ग़लतफ़हमी यह कि हम उसे पीते हैं
आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
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रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
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हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
7 वर्ष पहले
2 टिप्पणियां:
बिलकुल सही फरमाया आपने...
सच बड़ा हीं कड़वा होता है, आपने सच कहा है इसलिए पहले तो आपको धन्यवाद!
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