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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

9/24/2017

देशभक्ति का भूत महंगाई से उतर जाता है-दीपकबापूवाणी (Deshbhakati Ka Bhoot mahnagai se utar jata hai-DeepakBapuWani)

 पर्दे के पीछे फर्जी मुद्दे तय करते हैं, चौराहे पर चर्चा में बेकार तर्क भरते हैं।
‘दीपकबापू’ बेअक्ल बुतों का गुण गाते, बिके अक्लमंद सच कहने से डरते हैं।।
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देशभक्ति का भूत महंगाई से उतर जाता है, सारे भाव महंगा तेज हज़म कर जाता है।
‘दीपकबापू’ राष्ट्रवाद के नशे में डूबे रहते, धीरे धीरे जेब का ख्याल भी भर जाता है।।
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फायदे के लिये प्रेम तो कभी घृणा व्यापार करें, मतलब के खंजर की तेज धार करें।
‘दीपकबापू’ श्रृंगार कर सजते पर्दे पर चेहरे, पीछे जाकर पैसे का मोटा लिफाफा पर करें।।
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न सुनने वाले सभी कान बहरे नहीं होते, सोचने वाले सभी दिमाग गहरे नहीं होते।
‘दीपकबापू’ झूठ बेचकर महल बना लिये, ईमानदारों के निवास पर पहरे नहीं होते।।
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राजपद का नशा सभी पर चढ़ जाता है, भलाचंगा भी घमंड की तरफ बढ़ जाता है।
‘दीपकबापू’ राजमार्ग पर चलते संभलकर, राजवाहन का शिकार तस्वीर में मढ़ जाता है।।
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1 टिप्पणी:

pushpendra dwivedi ने कहा…

खूबसूरत भावनात्मल रचनात्मक अभिव्यक्ति

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