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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

10/22/2014

इंसान और बंदर-हिन्दी कविता(insan aur banda,man and monkey-hindi poem)





मदारी बंदर नचाकर
इंसानों को बहलाता है।

इंसानों को बंदर बनाकर
जो समाज में नचाकर
अपनी छवि चमकाकर
वह  समाज सेवक कहलाता है।

कहें दीपक बापू  जिंदगी के खेल में
दांव सभी खेलते
मगर खिलाडी नहीं होते हैं,
कुछ छोड़ देते अपनी चाल
भगवान भरोसे
कुछ उधार की अक्ल से
चालों का बोझ ढोते हैं,
पर्दे के पीछे से जो तीर चलाकर
चालाकी से जो इंसानों की
अक्ल का शिकार करे
वह सबसे बड़ा खिलाड़ी कहलाता है।
____________________

लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप 
ग्वालियर मध्य प्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh


वि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

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