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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

9/11/2014

हिन्दी के फिक्रमंद-14 सितम्बर हिन्दी दिवस पर विशेष हास्य कविता(hindi ke fikramand-A Hindi comedy poem on14 september on hindi day, hindi diwas,hindi divas)



फंदेबाज मिल और बोला
‘‘दीपक बापू हिन्दी दिवस पर
सभी जगह नये नये लेखकों को
बड़े लोग सम्मान बांट रहे हैं,
सभी अपने चाटुकारों में
प्रतिभायें छांट रहे हैं,
तुम भी किसी महापुरुष के
दरवाजे चले जाओ,
एकाध सम्मान पाओ,
शायद तुम पर लगा फ्लाप कवि का
ठप्पा हट जाये,
महाकवि की छवि
तुम्हारे नाम के साथ डट जाये।’’

सुनकर हंसे दीपक बापू और बोले
जब हिन्दी दिवस आता है,
अंग्रेजी संस्कृति में फंसा
तुम्हारा मन
अपने फ्लाप कवि मित्र की
मदद के लिये तैयार हो जाता है,
मगर बाज़ार और उसके स्वामी
किसी के मोहताज नहीं होते,
बढ़ा सके उनका नाम और नामा
वही उनको प्यारा है
किसी के सिर के ताज का बोझ
वह संवेदनशील होकर नहीं ढोते,
मनोरंजन के व्यापारी
हिन्दी में कमाने आये हैं,
अंग्रेजी के शब्द जोड़कर
हिंग्लिश जमाने के प्रयास छाये हैं,
हम निश्चित है
हिन्दी हमारे साथ हमेशा चलेगी,
चिंता है हिंग्लििश वालों की
जब हो गयी लापता
तब उनको इसकी कमी खलेगी,
जिनकी रग रग में बसी है हिन्दी
वह कभी घबड़ाते नहीं है,
भाषा के नाम पर पाखंड
उनको भाते नहीं है,
फिक्रमंद है बाज़ार के सौदागर
करते हैं 14 सितम्बर को
हिन्दी भाषा का गुणगान
इस भय से कि कही
                                           उससे होने वाली कमाई घट न जाये।’’
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप 
ग्वालियर मध्य प्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh


वि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

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