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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

4/09/2014

समाज सेवा का खेल-हिन्दी कविताऐं(samaj sewa ka khel-hindi kavitaen)



समाज सेवा किसी के लिये पेशा किसी के लिये खेल है,
बेबस का मदद के इंतजार में निकल जाता तेल है।
कहें दीपक बापू सड़क पर चलते हुए
जब मेहनतकशों पर नज़र पड़ती है
तब यह ख्याल आता है
स्वयंसेवा के नाम पर बने संगठन इतनी संख्या में है
फिर भी मिटती क्यों नहीं बेबसी बीमारी इस देश से
चंदे और दान की पटरियों पर जो दौड़ रही
 वह समस्याओं की रेल है।
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जिनके कर्म काले पर नहीं जिनको शर्म है,
दावा करते वही हमारे लिये सबसे बड़ा धर्म है,
कहें दीपक बापू विचार पवित्र और आचरण शुद्ध जिसका
वही मानवता का जनता सच में मर्म है
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप 
ग्वालियर मध्य प्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh

वि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

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