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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

1/30/2014

अपना ईमान बचा रहे-हिन्दी व्यंग्य कविता(apna eeman bacha rahe-hindi vyangya kavita)



टूटे दिल के लोग
समाज के नाम पर अकड़ कर खड़े हैं,
संस्कार और संस्कृति में मिला दिया विदेशी रंग
फिर भी पुराने रिश्तों की फटी थैली पकड़कर अड़े हैं।
कहें दीपक बापू
कमाई लूट की है या झूठ की
कौन किससे पूछता है,
हर कोई दौलतमंद बनने के लिये
शातिर सोच की पहेलियां बूझता है,
नहीं जानते दीवार के पीछे छिपा सच
सामने पाखंडी अदाओं पर हर कोई मरता है,
कुओं की रखवाली चाहे जिसे सौंप दो
आंख बचाकर अपने बर्तन जरूर भरता है,
हम किससे वफादारी निभाने की  कहें,
किस किसकी  शिकायत कर जुबान थकाते रहें,
जमाने की नज़र में बेईमान ही सबसे बड़े हैं,
अपना ईमान बचा रहे  हम तो इसी पर अड़े हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप 
ग्वालियर मध्य प्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh

वि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

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