अपनी काबलियत पर
नहीं है जिनको भरोसा
अपने हाथ से छोटे काम कर
भीड़ में जाकर वही डंका बजाते हैं,
करते हैं ज़माने का काम
वह कभी अपने मशहूरी के लियेचौराहे पर अपने गीत नहीं गाते हैं।
कहें दीपक बापू
यह विज्ञापन युग हैं
जिसमें हल्के लोग भी
साबुन और तेल की तरह
बाज़ार में बिकने आते हैं।
................................
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप
नहीं है जिनको भरोसा
अपने हाथ से छोटे काम कर
भीड़ में जाकर वही डंका बजाते हैं,
करते हैं ज़माने का काम
वह कभी अपने मशहूरी के लियेचौराहे पर अपने गीत नहीं गाते हैं।
कहें दीपक बापू
यह विज्ञापन युग हैं
जिसमें हल्के लोग भी
साबुन और तेल की तरह
बाज़ार में बिकने आते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप
ग्वालियर मध्य प्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com
यह आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप का चिंतन’पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
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3 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया सार्थक प्रस्तुति ..
बहुत बढ़िया सार्थक प्रस्तुति ..
आज 25/09/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
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