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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

7/13/2009

विश्व में आठवीं वरीयता प्राप्त यह हिंदी ब्लाग/पत्रिका!

यह एलेक्सा की चूक भी हो सकती है और सच भी कि इस ब्लाग को विश्व में आठवीं वरीयता प्राप्त है। पिछले सप्ताह यह सातवें नंबर पर था। इस समय यह विकिपीडिया के पीछे है। इसके लेखक ने ऐलेक्सा की टाॅप साईटस देखी तो वहां blogger.com रहा हैं और जब वहां क्लिक करते हैं तो ब्लाग खाता खोलने वाला ब्लाग सामने आ जाता है। एक बार इस लेखक ने टाप साईटस के लिये प्रयास किया तो एक जगह यह पता लगा कि भुगतान करने पर ही दसों साईटस का पता दिया जायेगा। इसका आशय यह है कि इन साईट में भी अन्य साईट छिपी हुई हैं। वहां क्लिक करने के बाद एक ईमेल भी आया कि शायद आप प्रक्रिया पूरी नहीं कर सके इसलिये दोबारा कर सकते हैं इसका आशय यह है कि यह ‘अनंत शब्दयोग’ चूंकि ब्लागर काम के अंतर्गत हैं इसलिये उसे सीधे नहीं दिखा रहे हैं-क्योंकि इससे उनको कोई लाभ नहीं होगा।
UrlTrends Quick Summary

URL: http://anantraj.blogspot.com


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Accurate as of: July 12th, 2009

Source: UrlTrends

बहरहाल उन्होंने हमें अनंत शब्दयोग का लिंक उठाने से नहीं रोका। हम तो यही मानकर चल रहे हैं कि यह सही होगा अगर गलत भी हुआ तो परवाह किसे है पर यह तो इतिहास में दर्ज हो गया कि एक हिंदी ब्लाग ‘अनंत शब्दयोग’ को 12 जुलाई 2009 रविवार के दिन विश्व में आठवीं वरीयता प्राप्त थी। अभी तक अनेक लेखक किसी हिंदी ब्लाग के एक लाख से नीचे आने पर ही खुश हो जाते हैं ऐसे में सभी हिंदी ब्लाग लेखकों को यह सोचकर खुशी होना चाहिये कि उनके बीच में ही सक्रिय ब्लाग विश्व की आठवीं वरीयता पा रहा है। जो बात इतिहास में दर्ज हो गयी तो हो गयी। क्रिकेट के खेल में अंपायर की भूमिका सभी जानते हैं कि एक बार स्टंप के बाहर जाती हुई गेंद पर उसने बल्लेबाज को एल.बी.डब्लयू. दे दिया तो दे ही दिया। यह ब्लाग विकिपीडिया के बाद आठवें नंबर पर रहा तो इसे अब कोई बदल नहीं सकता। अब यह ब्लाग हमेशा वहां बना रहेगा यह कहना कठिन है पर अब लेखक सोच रहा है कि क्यों न इस पर थोड़ा अधिक ध्यान दिया जाये और इसकी वरीयता ऊपर लायी जाये। यहां यह भी याद रखें कि हमें यह जानकारी दूसरी वेबसाईट से मिली थी तब हमने प्रयास कर देखा तो पाया कि इसको आठवी वरीयता प्राप्त होने की बात सच थी।
इस लेखक के बीस अन्य ब्लाग भी है-इसके अलावा दो जब्त हुए भी पड़े हैं-और उनमें सबसे अधिक वरीयता वर्डप्रेस के ब्लाग हिंदी पत्रिका को है जो कि 22 लाख के आसपास है। बहरहाल इस ब्लाग का इतना ऊंचा पहुंचने से खुश होने की जरूरत नहीं है। कल को यह गिरा तो अफसोस भी होगा। वैसे हमने गंभीरता से इधर उधर देखा तो लगा कि इन रैक देने वाली वेबसाईटों मेें कुछ ऐसा है जो अभी तक भारत में कोई नहीं समझ सका। फिर जो व्यूज बताने वाली वेबसाईटें हमने लगा रखी है वह सभी व्यूज बता पाती हैं यह भी दावे से नहीं कहा जा सकता। बहरहाल देखते हैं आगे क्या होता है? वैसे कल हम एक लेख लिखकर यह आशा कर रहे थे कि कोई इसमें हमारी चूक बतायेगा पर यह नहीं हुआ। वैसे कोई हमें यह कहे कि हम गलती कर रहे हैं तो भी अफसोस नहीं खुशी होगी क्योंकि हमें अपना फ्लाप होना मंजूर है पर भ्रम में जीना नहीं। हम तो स्वयं ही धर्म, जाति, भाषा, और क्षेत्र के नाम पर समूह बनाकर भ्रम मेें जीते लोगों को यही संदेश देते हैं कि यह सब भ्रम है तब भला स्वयं कैसे यह मान सकते हैं कि सफलता के भ्रम में जियें। अगर यह सच भी हो तो भी हम लिखते रहेंगे क्योंकि अपनी सफलता पर इतराना आगे नाकामी को दावत देना है। हां, यह सच है कि अगर सफल हो गये तो हमारी बात को आधिकारिक माना जायेगा। खैर, आगे आगे देखिये होता है क्या? अगर यह स्थिति अगले कुछ दिन तक रहती है और इस सफलता को प्रमाणिक मान लिया जाता है तो कुछ तथ्य ऐसे भी हैं जो इस ब्लाग को आठवी वरीयता प्राप्त होने को सच मानते हैं और हम इन पर तभी लिखेंगे जब स्वयं संतुष्ट हो जायेंगे। संतुष्ट नहीं है इसलिये तो किसी को धन्यवाद तक ज्ञापित नहीं कर रहे। वैसे साईडबार में ऐलेक्सा से उठाया प्रमाणपत्र भी लगा दिया है। जिसे देखना हो देख ले। बस, यार कुछ उल्टा पुल्टा हो जाये तो हंसना नहीं क्योंकि हम तो वही लिख रहे हैं जो देख रहे हैं।
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यह आलेख मूल रूप से इस ब्लाग ‘अनंत शब्दयोग’पर लिखा गया है । इसके अन्य कहीं प्रकाशन के लिये अनुमति नहीं हैं। इस लेखक के अन्य ब्लाग।
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