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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

8/13/2008

मनुस्मृतिःक्रोध जैसे दोष लालच से भी पैदा होते हैं

पैशुन्यं साहसं मोहं ईष्र्याऽसूयार्थ दूषणम।
वाग्दण्डवं च पारुष्यं क्रोधजोऽपिगणोऽष्टकः।।


मनुष्य में क्रोध से आठ दोष उत्पन्न होते हैं
1.दूसरे की चुगली करना 2.दुस्साहस 3.ईष्र्या करना 4.अन्य व्यक्तियों में दोष देखना 5.दूसरों के पैसे को हड़पना 7.अभद्र शब्दों का प्रयोग करना 8.अन्य लोगों के साथ दुव्र्यवहार करना

द्वयोरष्येतयार्मूलं यं सर्वे कवयो विदुः।
तं त्यनेन जयेल्लोभं तज्जावेतावुभौ गणौ।।


विद्वान लोगों का कहना है कि जो दोष काम और क्रोध से उत्पन्न होते हैं वही लालय से भी पैदा होते हैं। अतः सभी लोगों को अपनी लालच की प्रवृत्ति पर नियंत्रण रखना चाहिए।
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