तिब्बत में चीन के खिलाफ कथित आन्दोलन मुझे तो एक छद्म मामला लग रहा है। चीन में नाम मात्र की भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है और ऐसे आन्दोलन वहीं पनपते हैं जहाँ थोडी बहुत कोई बोलने और समझने की गुंजायश हो। चीन में जिस तरह लोगों की बोलने की आजादी को कसकर दबाया गया है उसके चलते यह संभव भी नहीं है।
चीन एक भयभीत राष्ट्र है और भय से क्रूरता का जन्म होता है। चीन ने इलेक्ट्रोनिक क्षेत्र में काफी तरक्की है और ऐसे में उसके न चाहने के बावजूद विदेशी प्रचार माध्यमों की पहुंच वहाँ के लोगों तक हुई है, और अब सामान्य लोग जागरूक हो रहे हैं। चीन के बारे में विश्व बहुत कम जानकारी उपलब्ध है पर जितनी उपलब्ध है वह उसकी कड़वी जमीनी वास्तविकताओं को दर्शाती है। उसकी विकास दर बहुत अधिक हैं पर उसमें कितना काला और सफ़ेद है यह अलग चर्चा का विषय है। कुल मिलाकर चीन में भी एक आम जनता का एक बहुत बड़ा वर्ग नाखुश है और लगता है कि तिब्बत में चीन के प्रमुख एक काल्पनिक दुश्मन खडा कर जनता का ध्यान बंटाने का प्रयास कर रहे है। भारत में रह रहे दलाई लामा ने वहाँ के लोगों से हिंसा से दूर रहने की अपील की है पर चीन तो शांति प्रदर्शन को भी सेना से कुचलने में लगा है। उसे शांतिपूर्ण आन्दोलन भी स्वीकार्य नहीं है। चीन को भय ने क्रूर बना दिया है।
चीन ने जिस तरह तिब्बत में भारत के रवैये का स्वागत किया है और यह चौंकाने वाले बात है और इसमें सतर्कता रखने वाली बात है। हो सकता है कि चीन ने राजनीतिक दावपेंच का इस्तेमाल करते हुए तिब्बत में तनाव पैदा किया हो और वहाँ इस बहाने अपना सैन्य तंत्र मजबूत कर रहा हो ताकि कभी उसका भारत के विरुद्ध इस्तेमाल किया जा सके।
वहाँ चीन अपनी सैन्य ताकत को इस तरह स्थापित कर सकता है कि भारत में घुसना आसान हो। बीच बीच में वह अरुणांचल पर अडियल रवैया अपनाकर वह इस बात का संकेत भी देता है कि उसका धीरज जवाब दे रहा है। यह इसलिए भी संदेहास्पद लग रहा है क्योंकि चीन में जो कठोर व्यवस्था है उसके चलते कोई भी उसके विद्रोहियों मदद नहीं कर सकता।
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
चीन भयभीत नहीं बल्कि निरंकुश राष्ट्र है. ऐसा इसलिए है कि वहाँ लोकतंत्र नही है. वैसे वह तिब्बत पर भारत के रुख कि ज्यादा परवाह नही करता.
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