कुछ ख्वाब थे जो हकीकत नहीं बने
कुछ सपने थे जो सच नहीं बने
जिन्दगी के रास्ते हैं ऊबड़-खाबड़
आदमी अपने कदम चाहे जैसे बढाए
ऐसे रास्ते बिलकुल नहीं बने
ख्यालों में चाहे जैसा सजा ले
रास्ते पर आरामगाहें मिल जाएं
ऐसे यहाँ जहाँ नहीं बने
सच के रास्ते पर चलना है
यही पक्का इरादा है जिनका
वह कभी गिरते नहीं
अपनी मंजिलों की तरफ
सीना तानकर आगे बढ़तें हैं
यह रास्ते उनके लिए अपने बने
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 वर्ष पहले
4 टिप्पणियां:
दीपक जी, बहुत ही प्रेरक रचाना है।बधाई।
दिवाली मुबारक!
सारे ख्वाब हकीकत नहीं बनते। लेकिन, जमकर ख्वाब देखिए और जो, ख्वाब पूरे हो जाएं उनसे नए ख्वाब देखने की ताकत पाइए।
और, भाई ये वर्ड वेरीफिकेशन हटा दो तो बढ़िया।
तम से मुक्ति का पर्व दीपावली आपके पारिवारिक जीवन में शांति , सुख , समृद्धि का सृजन करे ,दीपावली की ढेर सारी बधाईयाँ !
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