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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

9/22/2007

फड़कते और गर्मागर्म हैडिंग लगाया करो

पहला ब्लोगर फ़िर उस दूसरे ब्लोग से मिलने निकला क्योंकि उसने उसके कहने से दो रिपोर्ट लिखी थी पर उसने कमेंट नहीं दी। इस बार उसकी गांव जाने वाली सड़क बरसात के पानी में बह गयी होगी इसका उसे अनुमान नही था। वह जैसे तैसे उसके घर के पास पहुचा तो उसने साइकिल बैठे ही उसे बाहर खडे हुए देख लिया। चूंकि नजर उसकी तरफ़ थी इसलिये उसे अपने सामने आया गड्ढा नहीं दिखाई दिया और उसका दिमागी संतुलन गड्बडा गया और वह साइकिल समेट उसमें गिर गया। गड्ढे में पानी भरा हुआ था और उसमें उसके कपडे भी खराब हो गये। दूसरा ब्लोगर उसके पास आया और उठाने की बजाये हंसने लगा। पहला ब्लोगर ने अपने को संभाला और उठते हुए बोला-"यार तुम्हें शर्म नहीं आती मुझे उठाने की बजाय हंसते हो।"

दूसरा ब्लोगर-पागल हुए हो, भला कोई गिरे हुए ब्लोगर को दूसरा ब्लोगर उठाता है, उल्टे जमे हुए को गिराता है। कम से कम मैने तुम्हें गिराया नही इसके लिये शुक्रिया अदा करना चाहिये। हाँ तुम कहों तो इस साइकिल को उठाने में मदद कर सकता हूँ'

पहला ब्लोगर-" कोई जरूरत नहीं खुद ही उठा जायेगी।तुम्हारे इधर आने वाले सडक कहां गुम हो गयी।"

दूसरा बोला-'जिस दिन तुमने सडक पर हास्य कविता लिखी थी उसी दिन बह गयी। अब तुम यह मत पूछ्ना कि कैसे बह गयी? तुम्हारी कविता में सब लिखा हुआ है।'
पहला ब्लोगर-ठीक है, अब अंदर तो ले चलो कम से कम हाथ्-मूंह तो धो लूं।'

दूसरा ब्लोगर्-'कोई जरूरत नहीं, घर में मेहमान आए हुए हैं, और वह भी ससुराल वाले। वैसे ही मेरी पत्नी और बच्चों ने इमेज वहां खराब कर रखी है और तुम कहीं अंदर गये तो बवाल भी मच सकता है। अभी वह समय नहीं आया कि कोई ब्लोगरों की इज्जत करे। यहीं इसी पत्थर पर बैठ्कर बातचीत करते हैं, और वह भी केवल पांच मिनट क्योंकि मैं अंदर सिगरेट लाने के बहाने बाहर आया हूं।

पहला ब्लोगर-'तुमने वह रिपोर्ट देखी थी?'

दूसरा-'नहीं। वही मैं तुमसे पूछ्ने वाला था। एक तो मैने अपने घर में इज्जत से बैठाकर चाय पिलाई, तुम्हारी पहचान छिपाई और फ़िर भी तुमने रिपोर्ट नहीं लिखी। अगर रिपोर्ट नहीं लिख सको तो मेरा समय खराब करने के लिये नहीं आया करो।

पहला-यार, मैने लिखी थी, तुमने क्यों नहीं देखी थी, थोडा ध्यान से देखा करो।'

दूसरा-"मैं इतने दिनों से देख रहा हूं तुमने कोई रिपोर्ट नही लिखी। हां मैने एक जोरदार रिपोर्ट देखी थी, क्या उसमें शानदार.......................मेरा मतलब तुम्हारी भाषा में कहूं तो अभद्र शब्द थे।"

पहला-" उसके पास मेरी पोस्ट भी थी।"

दूसरा-'तभी मैं कहूं कि मेरी नज़र में क्यों नहीं आयी। मेरा सारा ध्यान उस पर था। मैने वह रिपोर्ट दस बार पढी। तुम भी अपनी पोस्ट में फ़डकते हुई गर्मागर्म हैडिंग लगाया करो, तब तो मेरी नजर जायेगी और मैं कमेंट दूंगा।'

पहला-'हैडिंग को फ़डकता हुआ कैसे बनाऊं, और गर्मागर्म किसमें करू? भगौने में या कढाई में।"

दूसरा ब्लोगर उठ कर खडा हो गया और बोला-'अरे यार, तुम नहीं समझ सकते। तुम जाओ यहां से। मैं तो जा रहा हूं बीडी का बंडल लेने।"

पहला ब्लोगर-'पर तुम तो यह कह कर आये हो कि सिगरेट खरीदने जा रहा हूं।'

दूसरा-'अपनी ससुराल वालों के सामने क्या अपनी भद्द पिटवाता। वहां से बीडी पीकर आऊंगा और कहूंगा कि सिगरेट पीकर आया हूं। अब तुम जाओ.............जय ब्लोगिंग की.........."

पहला ब्लोगर ने गड्ढे से अपनी साइकिल उठायी और उसकी सीट को अपने रुमाल से साफ़ करने लगा, दूसरा ब्लोगर जाते-जाते बोला-'और हां, इस बार अच्छी रिपोर्ट लिखना। वैसे नहीं भी लिखो तो फ़र्क क्या पडेगा। अब तो तुम यहां आओगे नहीं। इस तरह गिरने के बाद तो बिलकुल नहीं।"

पहला ब्लोगर-'आना तो पडेगा न! तुम इस बार भी कमेंट नही लगाओगे तो पूछने और लगायी तो शुक्रिया अदा करने।"

दूसरा ब्लोगर अपना सिर पीट्ता हुआ चला गया, और पहला ब्लोगर भी साइकिल पर बैठकर वापस चला तब उसे ध्यान आया कि उसने यह तो पूछ ही नहीं कि इस बार हास्य कविता लिखे या नही।

वह उसे आवाज देना चाहता था पर उसमें खतरा यह था कि दूसरा ब्लोगर बहुत दूर चुका था और वह न भी सुनता पर उसके घर के अंदर आवाज जरूर जाती और वहां से किसी के बाहर आने का खतरा था। अपनी बुरी हालत देखकर पहले ब्लोगर ने सोचा अगली बार पूछ लूंगा।''

नॉट-यह हास्य व्यंग्य रचना है और इसका किसी व्यक्ति या घटना से कोई संबंध नहीं है, अगर किसी कई खुराफात से मेल खा जाये तो वही उसके लिए जिम्मेदार होगा।

2 टिप्‍पणियां:

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

आपके विचार वेहद सुंदर और सारगर्भीत है.

Udan Tashtari ने कहा…

सही है.

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