जहां वाद वहीं विवाद है,
बहस में झगड़ा निर्विवाद है।
कहें दीपकबापू उदास दिल में
खुशी से ज्यादा दर्द की याद है।
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कोई करे इंसानों की सेवा,
कोई पूज रहा दिल से देवा।
कहें दीपकबापू कर अपना काम
खुश हो जितना मिले मेवा।
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ख्वाब करते दर्द का इलाज,
हंसी छिपा लेती बेबसी का राज।
कहें दीपकबापू मत रो इंसान
सलामत हाथ पावं पर कर नाज।
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पत्थर के महल भी ढह गये,
स्वर्णमृग बेनामनदी में बह गये।
कहें दीपकबापू दरियादिलों के
किस्से ही यादों में रह गये।
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भय सपना टूटने का है,
विश्वास का घड़ा फूटने का है।
कहें दीपकबापू प्रेम का पाखंड
लोभ तो धोखा लूटने का है।
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दिल की चाहत भटकाती है,
लालच धूप जैसा चटकाती है।
कहें दीपकबापू जब हो मन बेबस
चिंतायें उल्टा लटकाती हैं।
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