समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

1/23/2016

प्रतिष्ठा की सवारी कार से चले-दीपकबापू वाणी (pratishtha ki sawar kar se chale-DeepakBapuWani)

प्रतिष्ठा की सवारी कार से चले, दिल की नीयत पैसे से पले।
‘दीपकबापू’ आंखें बंद रखकर, रौशनी लाते हुए घर ही जले।।
.............................
जीभ का स्वाद आम मांगता, कोई मेहनत से दिल नहीं टांगता।
‘दीपकबापू’ वातानुकूलित कक्षवासी, भूख का हिसाब नहंी मांगता।।
------------------
हाथ में किताब दिखाते भक्ति, दिल में बसी धन की आसक्ति।
‘दीपकबापू’ कर रहे भले का धंधा, चंदा लेने में लगाते शक्ति।।
.........................................
सभी भले लगते धन के मोर, पकड़े जायें तभी कहिये चोर।
‘दीपकबापू’ काला काम करें, साफ छवि जताते मचाकर शोर।।
--------------
सर्वशक्तिमान के पास रोज जाते, दरबार में भी नहीं खोज पाते।
‘दीपकबापू’ हृदय रखे हुए खाली, शुष्क संस्कार नहीं ओज पाते।।
-------------------
जब भी मिलें हाल जरूर पूछते, किसी मसले का हल नहीं बूझते।
‘दीपकबापू’ मददगार लगाये भीड़, चंदा लेते पर दान से नहीं जूझते।।
...................
ठगों ने बदला धंधे का चेहरा, महल के बाहर लगाया पहरा।
‘दीपकबापू’ वेशभूषा साफ पहने, पापी नीयत का कुंआ गहरा।।
--------------------
चेहरे पर दिखे नीयत का रंग, काली श्रद्धा से हो यज्ञ में भंग।
‘दीपकबापू’ हाथ में उठाये पत्थर, न जाने फूल चढ़ाने के ढंग।।
-------------
सर्वशक्तिमान का नाम रोज गायें, स्वार्थ की दुकान का काज चलायें।
कातिल कर देते बंदों का कत्ल, ‘दीपकबापू’ आकाश का राज बतायें।
-----------------

इंसानी चेहरों के बहुत रंग हैं, ख्याल से कोई खुले कोई तंग हैं।
‘दीपकबापू’ बहुरंगी दुनियां में, सभी के जीने के अलग ढंग हैं।।
---------------

लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप 
ग्वालियर मध्य प्रदेश

Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh


वि, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak Bharatdeep, Gwaliro
http://rajlekh-patrika.blogspot.com

यह आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप का चिंतन’पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग

 5.दीपक बापू कहिन
6.हिन्दी पत्रिका 
७.ईपत्रिका 
८.जागरण पत्रिका 

कोई टिप्पणी नहीं:

लोकप्रिय पत्रिकायें

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर